नई दिल्ली:भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की द्विमासिक बैठक बुधवार यानी आज से शुरू होने जा रही है। बैठक के फैसलों की जानकारी आठ अप्रैल को दी जाएगी।
यह बैठक दो महीने के अंतराल पर हो रही है, लेकिन इन दो महीनों में घरेलू और वैश्विक हालात काफी बदल चुके हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था को घरेलू और वैश्विक दोनों मोर्चों पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण महंगाई बढ़ रही है। इससे आर्थिक विकास प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
पड़ोसी देशों पाकिस्तान और श्रीलंका में पैदा ,हुई राजनीतिक अस्थिरता भी भारतीय कारोबारियों के लिए चिंता का विषय है। ऐसे में इस बार आरबीआई के सामने आर्थिक विकास-महंगाई में संतुलन बनाने को लेकर कई नई और कठिन चुनौतियां होंगी। हालांकि, यह देखना काफी दिलचस्प होगा कि आरबीआई इन चुनौतियों के बीच विकास दर को बढ़ावा देने वाले कौन से उपाय अपनाता है।
यूक्रेन के साथ युद्ध के कारण पश्चिमी देशों ने रूस पर कई आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे वहां की अर्थव्यवस्था में गिरावट का आशंका पैदा हो गई है। इससे निपटने के लिए रूस ने अपने सबसे भरोसेमंद साथी भारत को कारोबार से जुड़े कई प्रस्ताव दिए हैं। इसमें सस्ता कच्चा तेल और रुपया-रूबल में कारोबार प्रमुख शामिल हैं। ऐसे में आरबीआई रूस के प्रस्तावों को ध्यान में रखकर भविष्य की रणनीति बना सकता है।
यूक्रेन के साथ युद्ध की वजह से अमेरिका रूस पर दबाव बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। अमेरिका ने भारत समेत अन्य देशों से रूस से व्यापार नहीं करने को कहा है। साथ ही रूस की कमी को पूरा करने का प्रस्ताव भी दिया है। अमेरिका ने कहा है कि जो भी देश रूस के साथ कारोबार करेंगे, उनको प्रतिबंधों के उल्लंघन का दोषी माना जाएगा। ऐसे में आरबीआई की बैठक में अमेरिकी दबाव पर भी विचार संभव है।
रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध के कारण दुनियाभर में आपूर्ति श्रंखला प्रभावित हो गई है। जरूरी सामानों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें उच्च स्तर पर चल रही हैं। इन सब कारणों से महंगाई बढ़ रही है।
भारत में कई कंपनियों ने अपनी वस्तुओं और सेवाओं की कीमत बढ़ा दी है, जबकि कई कंपनियां बढ़ोतरी की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में आरबीआई के सामने महंगाई पर काबू पाने की प्रमुख चुनौती होगी।
पड़ोसी देश पाकिस्तान और श्रीलंका की अर्थव्यवस्थाएं पूरी तरह से ठप पड़ी हैं। इस कारण दोनों देशों में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है। दोनों ही देशों के साथ भारतीय व्यापारियों के हित जुड़े हैं। ताजा संकट के कारण भारतीय कारोबारियों का पैसा फंसा हुआ है। ऐसे में आरबीआई पर इन देशों के साथ कारोबार करने वाले कारोबारियों को राहत देने का भी दबाव होगा।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण ठप हुई आपूर्ति श्रंखला और महंगाई के चलते भारतीय कंपनियों को कच्चा माल चुटाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई देशों ने कच्चे माल की कीमतें बढ़ा दी हैं। साथ ही माल ढुलाई के लिए कंपनियों को ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। इससे बीती और चालब तिमाही में भारतीय कंपनियों के मुनाफे में कमी आने की आशंका बन रही है। ऐसे में आरबीआई के सामने भारतीय कंपनियों को कारोबार के लिए पैसा उपलब्ध कराने की भी चुनौती होगी।
कोरोना से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था आरबीआई की उम्मीदों के अनुरूप रिकवरी नहीं कर पा रही है। इस बीच रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कारोबारी गतिविधियों में गिरावट आई है। इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। बीते कुछ महीनों से देश में रोजगार भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। ऐसे में आरबीआई पर आर्थिक विकास और रोजगार को बढ़ाने के उपाय करने का भी दबाव होगा।
“नीतिगत समीक्षा में एमपीसी अपने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान में संशोधन कर सकती है। साथ ही 2022-23 के लिए वृद्धि दर के अनुमान को कम किया जा सकता है। एमपीसी मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए वृद्धि का त्याग नहीं करेगी। नीतिगत मोर्चे पर यथास्थिति रह सकती है।”