डेस्क:इनकम टैक्स में मिडिल क्लास को राहत के बाद अब मिडिल क्लास को सस्ते लोन का तोहफा मिला है। आरबीआई के नए गवर्नर संजय मल्होत्रा की अगुवाई में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की पहली बैठक में लिए गए फैसलों का ऐलान हो चुका है। एमपीसी लगभग पांच साल के बाद रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की है। बता दें रेपो रेट पिछले दो साल से 6.50 फीसद पर स्थिर था।
आरबीआई ने पिछली बार मई, 2020 में कोरोना महामारी के समय रेपो रेट को 0.40 फीसद घटाकर चार फीसद किया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था।
कोविड-19 महामारी के समय मिली थी राहत
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछली बार मई, 2020 में कोविड-19 महामारी के समय रेपो रेट को 0.40 प्रतिशत घटाकर चार प्रतिशत किया था। फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के जोखिमों से निपटने के लिए आरबीआई ने मई, 2022 में दरों में बढ़ोतरी करनी शुरू की थी और यह सिलसिला फरवरी, 2023 में जाकर रुका था।
ब्याज दर पर फैसले की घोषणा आज
एमपीसी की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक बुधवार को शुरू हुई। इस बैठक के अंतिम दिन शुक्रवार यानी आज ब्याज दर पर फैसले की घोषणा की जाएगी। एमपीसी की यह बैठक आरबीआई के नए गर्वनर के मातहत होने वाली पहली द्विमासिक समीक्षा बैठक है। मल्होत्रा दिसंबर में शक्तिकान्त दास के छह साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद आरबीआई के नए गवर्नर बनाए गए थे।
विशेषज्ञों का अनुमान
डीबीएस ग्रुप रिसर्च की वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि हमें उम्मीद है कि एमपीसी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करके इसे 6.25 प्रतिशत पर लाने के पक्ष में मतदान करेगी। ग्लोबल रिसर्च फर्म बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च ने भी कहा कि आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति दोनों के ही आंकड़े मौद्रिक स्थितियों को आसान बनाने की जरूरत की तरफ इशारा करते हैं।