नई दिल्ली:भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आम जनता को एक और बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में लगातार दूसरी बार कटौती की है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की 7 से 9 अप्रैल तक चली बैठक के बाद केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले फरवरी 2025 में भी आरबीआई ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी, जब यह 6.25 प्रतिशत पर थी। यह कदम मई 2020 के बाद पहली बार उठाया गया था, और अब लगातार दूसरी बार कटौती की गई है।
रेपो रेट में कटौती से बैंकों को आरबीआई से सस्ता कर्ज मिलेगा, जिससे होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में कमी आने की संभावना है। इसका सीधा फायदा आम आदमी को मिलेगा, क्योंकि ईएमआई का बोझ हल्का होगा।
मौद्रिक नीति की प्रमुख घोषणाएं:
रेपो रेट: 0.25% की कटौती कर 6% किया गया।
नीति रुख: ‘तटस्थ’ से बदलकर ‘उदार’ किया गया, जिससे भविष्य में और कटौती के संकेत मिले हैं।
यूपीआई लेनदेन सीमा में संशोधन: एनपीसीआई को ‘पी टू एम’ (ग्राहक से दुकानदार) लेनदेन की सीमा में बदलाव की अनुमति दी गई है। हालांकि ‘पी टू पी’ (व्यक्ति से व्यक्ति) लेनदेन की सीमा एक लाख रुपये ही रहेगी।
जीडीपी ग्रोथ अनुमान: वित्त वर्ष 2025-26 के लिए वृद्धि दर का अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% किया गया है।
मुद्रास्फीति अनुमान: 4.2% से घटाकर 4% किया गया।
सोने के बदले कर्ज: लोन के मौजूदा नियमों की समीक्षा कर नए मसौदा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
को-लेंडिंग व्यवस्था: इसके दायरे को बढ़ाने और एक समान विनियामक ढांचा लागू करने का प्रस्ताव।
फंसे कर्जों का समाधान: ‘सिक्योरिटाइजेशन ऑफ स्ट्रेस्ड एसेट्स फ्रेमवर्क’ पर मसौदा दिशानिर्देश पेश, जिससे बैंकों को जोखिम कम करने और कर्ज वसूली का नया रास्ता मिलेगा।
अगली बैठक कब?
आरबीआई की अगली मौद्रिक नीति समिति की बैठक 4 से 6 जून 2025 के बीच होगी। मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 में कुल छह बैठकों का आयोजन प्रस्तावित है।
इस बैठक से यह स्पष्ट है कि आरबीआई अब विकास को गति देने और आम लोगों को राहत देने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है। रेपो रेट में कटौती का असर आने वाले हफ्तों में बैंकों की कर्ज दरों पर दिखने लगेगा।
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