कोलकाता। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के पूर्व एवं विवादास्पद प्रिंसिपल ने सोमवार को कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ के समक्ष जमानत के लिए याचिका दाखिल की। न्यायमूर्ति शुभेंदु सामंत की एकलपीठ ने याचिका स्वीकार कर ली है।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) घोष के खिलाफ समानांतर जांच कर रही है। पहली जांच आरजी कर में वित्तीय अनियमितताओं के मामले में और दूसरी जांच इसी अगस्त में इसी अस्पताल की एक महिला जूनियर डॉक्टर के साथ हुए जघन्य दुष्कर्म और हत्या के संबंध में है।
जांच को गुमराह करने का आरोप
दूसरे मामले में घोष के खिलाफ मुख्य आरोप जांच को गुमराह करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप है। वहीं दुष्कर्म और हत्या मामले की प्रारंभिक जांच कोलकाता पुलिस द्वारा की जा रही थी, जिसके बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जांच का प्रभार सीबीआई को सौंप दिया।
सीबीआई ने दुष्कर्म व हत्या मामले में संदीप के साथ-साथ टाला थाने के पूर्व थानेदार अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया है। हालांकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने घोष की त्वरित सुनवाई की याचिका को खारिज कर दिया। हाल ही में बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट ने कई महत्वपूर्ण दस्तावेज सौंपे, जिसमें बताया गया है कि कैसे राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने आरजी कर अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की पिछली शिकायतों को नजरअंदाज किया, जब घोष वहां के मामलों के प्रमुख थे।
सीबीआई का कई कॉलेजों में भ्रष्टाचार का दावा
इससे पहले सीबीआई ने हाल में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई अपनी स्टेटस रिपोर्ट में दावा किया था कि बंगाल में आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ही नहीं बल्कि राज्य के कई सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कालेजों में पिछले 10 वर्षों में भारी वित्तीय भ्रष्टाचार हुआ है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार की रकम 2,000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा हो जाए तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।
सीबीआई ने स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि भ्रष्टाचार आरजी कर अस्पताल के बाहर भी फैल गया है। सीबीआई का कहना कि आरजी कर अस्पताल के वित्तीय भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और उनके दो करीबी व्यवसायियों सुमन हाजरा व बिप्लब सिंह के संपर्क स्रोतों की विस्तृत जानकारी सामने आने के बाद उसे इस भ्रष्टाचार के जाल के बारे में पता चला है।
वित्तीय अनियमितताओं के आरोप
मालूम हो कि आरजी कर अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डॉ. अख्तर अली ने डॉ. घोष व अन्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। घोष पर टेंडरों को लेकर पक्षपात करने, मेडिकल आर्गेनिक कचरे की अवैध बिक्री, मुर्दाघर के शवों के अंग बेचने, पैसे लेकर मेडिकल छात्रों को पास कराने जैसे कई गंभीर आरोप लगे हैं।