नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आज कहा कि पाकिस्तान अपनी ही बनाई हुई साजिश के जाल में फंस गया, जब वह तालिबान और दूसरी ताकतों दोनों के साथ दोहरी चाल चल रहा था। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में पाकिस्तान ने रास्ता भटकाया और अब वह उसी आतंकवाद के जाल में फंस गया है, जिसे उसने खुद तैयार किया था।
गुजरात के चारोटर यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बोलते हुए डॉ. जयशंकर ने कहा, “पाकिस्तान दोहरा खेल खेल रहा था। वह तालिबान के साथ भी था और दूसरी तरफ के साथ भी। लेकिन जब अमेरिकी वहां से चले गए, तब यह दोहरा खेल टिक नहीं पाया।”
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने ही क्षेत्र में आतंकवाद का “उद्योग” खड़ा किया था। डॉ. जयशंकर बोले, “जिन लाभों के लिए पाकिस्तान दोहरा खेल खेल रहा था, वे भी अमेरिका के जाने के बाद खत्म हो गए। और जो आतंकवाद का उद्योग उन्होंने खड़ा किया था, वही अब उन्हीं को डंस रहा है।”
विदेश मंत्री ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले को भारत-पाकिस्तान संबंधों के बिगड़ने का “टर्निंग पॉइंट” बताया।
उन्होंने कहा, “मुंबई हमले के बाद भारतीय समाज में यह बहुत गहरा भाव था कि पड़ोसी देश की ऐसी हरकतें अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। सरकार उस समय शायद इसे पूरी तरह समझ नहीं पाई, लेकिन जनता की भावना बहुत तीव्र थी।”
डॉ. जयशंकर ने भारत और पाकिस्तान की प्रगति की तुलना करते हुए कहा, “भारत बदल चुका है। काश मैं कह सकता कि पाकिस्तान भी बदला है, लेकिन दुर्भाग्यवश वे अब भी अपनी पुरानी गलत आदतें दोहरा रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि 2014 के बाद, जब भारत में सरकार बदली, तब पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया गया कि अगर आतंकवाद हुआ तो इसके परिणाम भुगतने होंगे। उन्होंने यह भी कहा, “इस अवधि में भारत ने आर्थिक, राजनीतिक और वैश्विक रूप से मजबूती पाई है, लेकिन पाकिस्तान अभी भी उसी पुरानी नीति पर चल रहा है।”
विदेश मंत्री ने साफ कहा कि अब भारत को पाकिस्तान पर “अपना कीमती समय बर्बाद करने की जरूरत नहीं है।”
डॉ. जयशंकर का यह बयान ऐसे समय आया है जब हाल ही में 26/11 मुंबई हमले के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा को अमेरिका ने भारत को सौंप दिया है। भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग और खुफिया जानकारी साझा करने को लेकर मजबूत साझेदारी है।
राणा के प्रत्यर्पण पर अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा, “हमने तहव्वुर हुसैन राणा को भारत को सौंप दिया ताकि वह 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले की योजना बनाने के आरोपों का सामना कर सके। भारत के साथ मिलकर हम लंबे समय से 166 पीड़ितों, जिनमें 6 अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं, के लिए न्याय की मांग कर रहे थे। खुशी है कि वह दिन आ गया।”
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए एस. जयशंकर ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग की सराहना करता हूं। यह 26/11 हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”