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अब ब्रह्मोस की मार चीन के अंदर तक — 800 किमी रेंज, हाइपरसोनिक गति

ON THE DOT TEAM by ON THE DOT TEAM
May 31, 2025
in देश, मुख्य समाचार
Reading Time: 1 min read
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ब्रह्मोस मिसाइल

नई दिल्ली:‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस की सफलता ने भारत की सामरिक क्षमता को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। अब भारत सिर्फ लाहौर, इस्लामाबाद या रावलपिंडी तक सीमित नहीं है—नई योजना के तहत चीन के भी भीतर तक मौजूद सैन्य ठिकानों को ध्वस्त करना संभव होगा। भारत-रूस की साझा परियोजना से विकसित इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल में अब पांच बड़े बदलाव किए जा रहे हैं, जिससे यह पहले से कहीं अधिक मारक और घातक बन जाएगी।

ब्रह्मोस—जो भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कोवा नदियों के नाम पर रखा गया है—को तैयार किया है ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने, जो DRDO और रूस की NPO Mashinostroyenia का संयुक्त उपक्रम है।

क्या हैं नए बदलाव?

ब्रह्मोस फिलहाल चार रूपों में भारतीय सेना का हिस्सा है—जमीन से ट्रक के ज़रिए, युद्धपोतों से, सुखोई-30MKI जैसे फाइटर जेट्स से और पनडुब्बियों से दागी जाने वाली प्रणाली के रूप में। यह मिसाइल पारंपरिक के साथ-साथ न्यूक्लियर हथियार ले जाने में सक्षम है और इसकी गति ध्वनि की गति से तीन गुना (मैक-3) है।

अब इसमें जो बदलाव आ रहे हैं, वे इसे रणनीतिक रूप से और भी भयावह बना रहे हैं:

1. रेंज बढ़ेगी दोगुनी से अधिक

NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, ब्रह्मोस की अधिकतम रेंज को 290-400 किमी से बढ़ाकर 800 किमी किया जा रहा है। यानी अब भारत किसी भी दुश्मन देश के गहरे सैन्य ठिकानों को भी सटीकता से निशाना बना सकेगा।

2. सुपरसोनिक से हाइपरसोनिक की ओर

अब ब्रह्मोस को हाइपरसोनिक श्रेणी में लाने की तैयारी है। इसकी गति अब मैक-5 से अधिक होगी, यानी ध्वनि की गति से पांच गुना। रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस पहले ही ब्रह्मोस मार्क-2 के परीक्षण कर चुका है और यह जल्द ही भारतीय सेना में शामिल हो सकती है।

3. वजन में कटौती, फाइटर जेट्स की मारकता में वृद्धि

वर्तमान में एयरफोर्स वर्जन का वजन करीब 1200 किलोग्राम है, जबकि जमीनी और नौसेना संस्करण 3000 किलोग्राम तक के हैं। नई योजना के तहत इसका वजन घटाकर 1000 किलोग्राम से कम किया जा रहा है, ताकि इसे तेजस और राफेल जैसे हल्के फाइटर जेट्स से भी लॉन्च किया जा सके।

4. विस्फोटक क्षमता में इज़ाफा

अभी ब्रह्मोस मिसाइल 300 किलो तक विस्फोटक ले जाती है, लेकिन अब इसमें और अधिक शक्तिशाली और घातक विस्फोटक भरे जाएंगे, जिससे इसका विध्वंसक प्रभाव कई गुना बढ़ जाएगा।

5. पनडुब्बियों से हमले की नई तैयारी

प्रोजेक्ट P-751 के अंतर्गत पनडुब्बियों से लॉन्च किए जाने वाले ब्रह्मोस वर्जन को और भी एडवांस बनाया जा रहा है। इससे दुश्मन के लिए भारत के हमलों की दिशा और गहराई का अनुमान लगाना मुश्किल हो जाएगा।

‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने दिखाया रास्ता

मई 2025 के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में ब्रह्मोस की निर्णायक भूमिका और अचूक मारक क्षमता ने ही यह साबित कर दिया कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक जवाबी हमला करने में भी सक्षम है। नए बदलाव इसी अनुभव से प्रेरित हैं।

अब भारत की मिसाइल शक्ति सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं, बल्कि किसी भी युद्ध क्षेत्र में निर्णायक बढ़त देने में समर्थ बन चुकी है। ब्रह्मोस का यह नया संस्करण भारत के सामरिक आत्मविश्वास की अगली उड़ान है।

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