नई दिल्ली:सरकार ने आम लोगों के हितों की रक्षा के लिए निधि कंपनियों को नियंत्रित करने वाले नियमों में संशोधन किया है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि निधियों के रूप में कार्य करने की इच्छुक सूचीबद्ध कंपनियों को अब जमा स्वीकार करने से पहले केंद्र सरकार से पूर्व-मंजूरी प्राप्त करनी होगी।
सरकार ने यह कदम छोटे निवेशकों के हितों को देखते हुए उठाया है क्योंकि कई ऐसे मामले आए हैं जिसमें ऐसी कंपनियां लोगों से पैसा लेकर रातों-रात गायब हो गई हैं। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, आम जनता के हितों की रक्षा के लिए, यह अनिवार्य है कि इसका सदस्य बनने से पहले केंद्र सरकार से निधि कंपनी के रूप में घोषणा हासिल की जाए। इसके अलावा दस लाख रुपये की शेयर पूंजी के साथ निधि कंपनी के रूप में गठित फर्म को खुद को ‘निधि’ घोषित करने के लिए न्यूनतम 200 की सदस्यता के साथ एनडीएच-4 फॉर्म के जरिये आवेदन करना होगा।
ऐसी कंपनियों का शुद्ध स्वामित्व वाला कोष (एनओएफ) गठन के 120 दिन के अंदर 20 लाख रुपये होना चाहिए। वहीं नए नियमों में कंपनी के प्रवर्तकों और निदेशकों को नियमों में निर्धारित उपयुक्त व्यक्ति के मानदंड को पूरा करना होगा। मंत्रालय ने बताया कि समय पर निपटान के लिए केंद्र सरकार एनडीएच-4 के रूप में कंपनियों की तरफ से दायर आवेदनों की प्राप्ति के 45 दिन के भीतर कोई निर्णय नहीं लेती है, तो मंजूरी को स्वीकृत माना जाएगा। उल्लेखनीय है कि आरबीआई द्वारा एनबीएफसी और बैंकों के लिए दिशा-निर्देश निधि कंपनी पर लागू नहीं होते हैं।
निधि फाइनेंस कंपनी एक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) ही होती हैं। मगर इसके कार्य व नियम NBFC से कुछ अलग होते हैं। निधि कंपनी कुछ मेंबरों से मिलकर बनी हुई वित्तीय संस्थान होती हैं। इसके जुड़ने वाले सभी मेंबर वित्तीय लेनदेन कर सकते हैं। व जरूरत के समय निधि कंपनी से लोन भी ले सकते हैं। निधि में पैसे जमा करने पर ब्याज भी मिलता हैं जो बैंक की तुलना में थोड़ा अधिक होता हैं। निधि मे पैसे जमा करने वाला व निधि कंपनी से उधार लेने वाला दोनों ही निधि के मेंबर होते हैं। निधि से जुड़े बगैर जमा या ऊधारी नहीं की जा सकती हैं।
निधि कंपनी काम बैंक की तरह होता है। जैसे बैंक से वित्तीय लेनदेन करने के पहले बैंक मे खाता खुलवाने की जरूरत होती है। वैसे ही निधि कंपनी से वित्तीय लेनदेन के लिए निधि कंपनी से सदस्यता लेनी पड़ती है। सदस्यता लेने के बाद इसमें पैसा जमा और निकासी की जा सकती है और जरूरत पड़ने पर कर्ज भी ले सकते हैं। हालांकि, निधि कंपनी बैंकों से इस मायने में अलग है कि यह अपने सदस्यों को चेक, ड्राफ्ट, एटीएम कार्ड आदि सुविधाएं नहीं दे सकती है।
इन शर्तों का पालन जरूरी
- निधि कंपनी के नाम के अंत में ‘निधि कंपनी‘ शब्द होना जरूरी है।
- एक निधि कंपनी अपने सदस्यों से ज्यादा रकम जमा करने का विज्ञापन नहीं दे सकती
- निधि कंपनी से पैसे का लेन-देन केवल इसका सदस्य ही कर सकता है
- कोई भी निधि कंपनी प्राईवेट कंपनी नही हो सकती। यह केवल एक पब्लिक कंपनी ही हो सकती है।
- निधि कंपनी, कंपनीज एक्ट के तहत पंजीकृत होती है। ऐसे में जो नियम कंपनी के लिए हैं वही नियम निधि कंपनी पर भी लागू होते हैं।