नई दिल्ली।
K Suresh and Om Birla: पहले प्रोटेम स्पीकर और अब स्पीकर को लेकर सत्तारूढ़ NDA और विपक्षी गठबंधन INDIA के बीच तलवारें खिंच चुकी हैं। एक ओर जहां एनडीए ने ओम बिरला को ही लोकसभा स्पीकर बनाने की तैयारी की है। वहीं, विपक्ष ने भी के सुरेश के रूप में उम्मीदवार उतार दिया है। चुनाव 26 जून को होना है।
स्पीकर को लेकर सियासी उथल-पुथल
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा, ‘मल्लिकार्जुन खरगे के पास केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह का फोन आया राजनाथ सिंह जी ने खरगे जी से अपने स्पीकर के लिए समर्थन मांगा, विपक्ष ने साफ कहा है कि हम स्पीकर को समर्थन देंगे लेकिन विपक्ष को डिप्टी स्पीकर मिलना, राजनाथ सिंह जी ने कल शाम कहा था कि वे खरगे जी कॉल रिटर्न करेंगे अभी तक खरगे जी के पास कोई जवाब नहीं आया है।’
कांग्रेस सांसद ने कहा, ‘पीएम मोदी कह रहे हैं रचनात्मक सहयोग हो फिर हमारे नेता का अपमान किया जा रहा है। नीयत साफ नहीं है। नरेंद्र मोदी जी कोई रचनात्मक सहयोग नहीं चाहते हैं। परंपरा है कि डिप्टी स्पीकर विपक्ष को होना चाहिए विपक्ष ने कहा है अगर परंपरा को रखा जाएगा तो हम पूरा समर्थन देंगे।’
वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘पहले उपाध्यक्ष कौन होगा ये तय करें फिर अध्यक्ष के लिए समर्थन मिलेगा, इस प्रकार की राजनीति की हम निंदा करते हैं… स्पीकर किसी सत्तारूढ़ पार्टी या विपक्ष का नहीं होता है वो पूरे सदन का होता है, वैसे ही उपाध्यक्ष भी किसी पार्टी या दल का नहीं होता है पूरे सदन का होता है। किसी विशिष्ट पक्ष का ही उपाध्यक्ष हो ये लोकसभा की किसी परंपरा में नहीं है।’
कैसे चुना जाता है स्पीकर
संविधान के अनुच्छेद 93 में स्पीकर के चुनाव की बात कही गई है। नई लोकसभा गठित होने के बाद ही यह पद खाली हो जाता है। अब सत्र शुरू होने के बाद राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं, ताकि नए सदस्यों को शपथ दिलाई जा सके। खास बात है कि लोकसभा के स्पीकर का चयन सिर्फ बहुमत के आधार पर ही हो जाता है। कुल सदस्यों की संख्या में से जो ज्यादा वोट हासिल करता है, उसे अध्यक्ष बनने का मौका मिलता है।
मैदान में कौन-कौन
नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस की ओर से बिरला ने नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीं, कांग्रेस सांसद भी अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल कर चुके हैं। खास बात है कि सत्तारूढ़ और विपक्ष को लेकर प्रोटेम स्पीकर को लेकर भी तनातनी हुई थी। फिलहाल, भर्तृहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर बनाया गया था। जबकि, कांग्रेस सुरेश का नाम आगे बढ़ा रही थी।
जब देश में हुए स्पीकर के चुनाव
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब देश में स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है। इससे पहले भी तीन बार वोटिंग हो चुकी है। जबकि, दो बार विपक्षी दलों ने उम्मीदवार खड़ा किया था, लेकिन स्पीकर का चुनाव ध्वनि मत से हुआ था।
द हिंदू की रिपोर्ट में पूर्व संयुक्त सचिव (विधान) रविंद्र गरिमेला के हवाले से बताया गया है कि पहला चुनाव 1952 में हुआ। उस दौरान जीवी मावलंकर ने शांतारा मोरे को हरा दिया था। 1967 में कांग्रेस के नीलम संजीव रेड्डी का सामना टी विश्वनाथन से हुआ। चुनाव में रेड्डी को 278 और विश्वनाथन को 207 मत मिले थे। 1 दिसंबर 1975 में तत्कालीन स्पीकर जीएस ढिल्लों ने इस्तीफा दे दिया था।
अखबार से बातचीत में गरिमेला ने कहा, ‘1976 में बलीराम भगत का चुनाव इसलिए जरूर हो गया था, क्योंकि पिछले स्पीकर को तब की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बना दिया गया था।’ 5 जनवरी 1976 में इमरजेंसी के दौरान भगत ने जनसंघ के नेता जगन्नाथ राव जोशी के सामने चुनाव जीता था।
संख्याबल
4 जून को ही लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों का ऐलान हुआ है। इसमें विपक्षी गठबंधन INDIA ने 233 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि, भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाला एनडीए 293 सीटों पर जीत के साथ सरकार बनाने में सफल हुआ है।