कांकरिया-मणिनगर, अहमदाबाद (गुजरात) : अपने पावन प्रवचनों से जन जन के अज्ञान तिमिर को हरने वाले अध्यात्म के महासुर्य जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी का अपनी धवल सेना के साथ आज कांकरिया-मणिनगर स्थित जे.एम जैन हाउस में दो दिवसीय प्रवास हेतु मंगल पदार्पण हुआ। शाहीबाग स्थित तेरापंथ भवन में लगभग ग्यारह दिवसीय जिनशासन प्रभावक प्रवास के पश्चात आज आचार्यप्रवर ने प्रातः यहां से मंगल विहार किया। लगभग 08 किमी विहार कर पूज्य गुरुदेव मणिनगर में पधारे। इस मौके पर स्थानीय श्रद्धालु श्रावक समाज की विशाल जनमेदिनी ने जय जयकारों से अपने आराध्य का स्वागत किया। आचार्य प्रवर का पावन सान्निध्य पाकर अहमदाबाद में मानों एक अनूठे त्योहार सा माहोल है। जगह-जगह से श्रद्धालु आचार्यप्रवर के दर्शनार्थ पहुंच कर सेवा दर्शन का लाभ भी उठा रहे है।
मंगल प्रवचन में गुरुदेव ने कहा – किसी दार्शनिक से पूछा गया दुनियां में सबसे बड़ा क्या है ? उत्तर मिला आकाश। सबसे आसान काम ? दूसरों की निंदा व आलोचना करना, सबसे कठिन काम ? अपनी आत्मा की पहचान करना व सबसे गतिशील अगर कुछ है तो वह है आदमी का मन। व्यक्ति का मन बड़ा चंचल होता है व विशेषकर समनस्क आदमी का मन। शरीर, वाणी और मन आत्मा के कर्मचारी होते है। हमारे इस औदारिक के साथ सूक्ष्म तेजस शरीर व सूक्ष्मतर कार्मण शरीर भी जुड़े हुए हैं। इस मन में निर्मलता, मलीनता व चंचलता तीनों होते हैं |
गुरुदेव ने आगे कहा कि समनस्क प्राणी ही ज्यादा पाप भी करते हैं व धर्म भी कर सकने की अर्हता रखते हैं। हम अपने मन को सुमन बनाने का प्रयास करे। दुर्मन हमें पाप की ओर व सुमन धर्म की ओर अग्रसर करता है। मन की भावना सदा निर्मल रहे और हम निम्न भावों से बचते रहे। अणुव्रत के छोटे–छोटे नियम से जीवन व प्रेक्षा ध्यान के प्रयोग से मन को अचंचल बनाने का प्रयास चलता रहे। अगर मन मजबूत हो तो कठिन से कठिन काम भी आसानी से पूरा किया जा सकता है, ऐसे में हमारा मनोबल सदा मजबूत रहे।
इस अवसर पर भावाभिव्यक्ति के क्रम में कांकरिया-मणिनगर के तेरापंथ सभा अध्यक्ष श्री विरेन्द्र मुनोत, श्री जीतमल चोरड़िया, श्री रायचंद लुणिया, उपासक श्री डालमचंद नौलखा, श्रीमती श्वेता मुनोत आदि अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे। सभा की महिला प्रकोष्ठ की बहनों ने सामुहिक गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के बच्चों ने सुंदर प्रस्तुति दी।