डेस्क:वोडाफोन आइडिया के बाद अब भारती एयरटेल और भारती हेक्साकॉम ने समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाया मामले में राहत की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इस याचिका में कहा गया है कि एजीआर बकाया ने दोनों भारती कंपनियों की दूरसंचार क्षेत्र में प्रतिस्पर्धी बने रहने और अपने परिचालन को बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित किया है। यह हमारे फ्यूचर पर असर डाल सकता है।
याचिकाकर्ता कंपनियों ने एक दशक में लाइसेंस शुल्क और मुकदमे के जरिए लगभग 75,000 करोड़ रुपये का सरकारी खजाने में योगदान दिया है। इसके साथ ही जीएसटी भी दिया गया है, जो वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग 22,000 करोड़ रुपये था। एजीआर फैसले के जरिए भारती एयरटेल समूह पर 43,980 करोड़ रुपये की पर्याप्त एकमुश्त देनदारी लगाई गई और इसे 31 मार्च, 2031 को समाप्त होने वाली 10 साल की अवधि के भीतर सरकार को चुकाया जाना है। मूल राशि 9,235 करोड़ रुपये ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज जोड़कर 43,980 करोड़ रुपये हो गई।
इससे पहले गुरुवार को वोडाफोन आइडिया ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की, जिसमें एजीआर बकाया से जुड़े ब्याज, जुर्माने और जुर्माने पर ब्याज में 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की छूट की मांग की गई। करीब 20 करोड़ ग्राहकों को सेवा देने वाली इस दूरसंचार कंपनी ने राहत न मिलने पर वित्तीय संकट की चेतावनी दी है। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को वोडाफोन आइडिया के मामले की सुनवाई करेगा।
बता दें कि वोडाफोन आइडिया में सबसे अधिक 49 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार के पास है। स्पेक्ट्रम शुल्क और एजीआर बकाया को इक्विटी हिस्सेदारी में बदले जाने से सरकार इस कंपनी में सबसे बड़ी शेयरधारक बन चुकी है। वोडा आइडिया का कहना है कि अगर सरकारी सहायता नहीं मिलती है और कंपनी एजीआर बकाया नहीं चुका पाती है तो फिर कंपनी को एनसीएलटी में जाना होगा जो एक लंबी प्रक्रिया होगी।