अक्षय नवमी प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है। अक्षय नवमी के दिन को किया गया दान, जप- तप अक्षय रहता है। उसकी हानि नहीं होती है। काशी के पंचांग के अनुसार वर्ष 2022 में कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का भोग 2 नवंबर बुधवार को सूर्योदय से लेकर रात 10.53 मिनट तक है। चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र में पहले मकर राशि में फिर कुम्भ राशि में संध्या में 4.52 मिनट में प्रवेश करेंगे।
अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष का महत्व
ऐसी शास्त्रीय मान्यता है कि आंवला वृक्ष के मूल में भगवान विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, स्कंद में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, पत्तों में वसु, फूलों में मरुद्गण व फलों में प्रजापति का वास होता है। अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। आंवले के पेड़ की पूजा करने वाले व्यक्ति के जीवन से धन, विवाह, संतान, दांपत्य जीवन से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या खत्म हो जाती है। मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अक्षय नवमी का दिन सबसे उत्तम माना जाता है l
अक्षय नवमी को भोजन करने से मिलता है उत्तम फल
पौराणिक मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे किसी ब्राह्मण को भोजन कराना उसे दान देना व अपने भी सपरिवार भोजन करने से उत्तम फल मिलता हैl आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से घर में लक्ष्मी जी का वास होता हैl अक्षय नवमी के दिन दोपहर 1.42 से वृद्धि नामक योग का प्रवेश होगा। वृद्धि योग में आंवले की पूजा करने से धन की वृद्धि होती हैl मानसिक सुख शांति व परिवारिक उन्नति होती हैl लक्ष्मी व स्वयं नारायण की उस परिवार पर विशेष कृपा होती है।