अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और व्यापार असंतुलन को दूर करने के उद्देश्य से मित्र और विरोधी, दोनों ही देशों पर भारी टैरिफ (शुल्क) लगाने की नीति ने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। भारत पर लगाए गए 27 प्रतिशत के टैरिफ का असर न केवल भारतीय निर्यात पर पड़ने वाला है, बल्कि यह वैश्विक व्यापार समीकरणों को भी प्रभावित कर रहा है।
हालांकि भारत सरकार ने इस नई टैरिफ नीति के जवाब में घरेलू उद्योगों की सुरक्षा की बात कही है, लेकिन अब आवश्यकता इस बात की है कि भारतीय उद्योग जगत टैरिफ संरक्षण के बजाय अनुसंधान एवं विकास (R&D) और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर अपना ध्यान केंद्रित करे। भारत के कुल निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत है, जो कि लगभग 80 अरब डॉलर के आसपास है। ऐसे में यह नीति भारत के लिए चिंता का विषय अवश्य है।
ट्रंप की टैरिफ नीति से टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, रत्न और आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स और कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रभाव पड़ने की आशंका है। फिर भी एसबीआई रिसर्च के अनुसार भारत पर इसका कुल प्रभाव 3 से 3.5 प्रतिशत तक सीमित रह सकता है, जो अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है।
आंतरिक ताकतें और रणनीतिक अवसर
टैरिफ की इस वैश्विक जंग में भारत के पास कई आंतरिक और रणनीतिक ताकतें मौजूद हैं। घरेलू मांग भारत की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बनकर उभर रही है। सेवा क्षेत्र के निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 55 प्रतिशत है, जो देश को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे रखती है। चालू खाता घाटा नियंत्रण में है, विदेशी मुद्रा भंडार 659 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, और महंगाई दर 3.6 प्रतिशत पर आ गई है।