नई दिल्ली: अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वॉल्ट्ज़ के 21 अप्रैल को नई दिल्ली पहुंचने की संभावना है। यह यात्रा भारत के साथ अमेरिका के संबंधों पर वॉशिंगटन के बढ़ते फोकस को दर्शाती है, खासकर उस समय जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति को लेकर वैश्विक स्तर पर चिंता जताई जा रही है।
शीर्ष सूत्रों ने शुक्रवार रात पीटीआई को बताया कि वांस और वॉल्ट्ज़ भारत की अलग-अलग यात्राओं पर आ रहे हैं। उपराष्ट्रपति वांस की यात्रा निजी होगी, हालांकि इसमें कुछ आधिकारिक कार्यक्रम भी शामिल होंगे। वहीं, वॉल्ट्ज़ की यात्रा पूरी तरह व्यावसायिक होगी, जिसमें वह भारत के साथ हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा स्थिति समेत कई अहम मुद्दों पर बातचीत करेंगे।
उम्मीद है कि दोनों नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे, इससे पहले कि मोदी 22 अप्रैल को दो दिवसीय यात्रा पर सऊदी अरब रवाना हों।
यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार में बड़ी उथल-पुथल मचा दी है और आर्थिक मंदी का खतरा बढ़ा दिया है। बुधवार को ट्रंप ने चीन को छोड़कर सभी देशों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिनों के लिए टालने की घोषणा की थी।
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत में उच्च प्रौद्योगिकी, महत्वपूर्ण खनिजों और निर्यात नियंत्रण के क्षेत्रों में सहयोग के नए उपायों की घोषणा करेंगे। वॉल्ट्ज़, जो भारत-अमेरिका संबंधों के मजबूत समर्थक माने जाते हैं, 21 से 23 अप्रैल तक भारत में रहेंगे।
वहीं, उपराष्ट्रपति वांस के साथ भारतीय-अमेरिकी सेकंड लेडी उषा वांस और उनके बच्चे भी भारत आ सकते हैं। वांस का दौरा वॉल्ट्ज़ की तुलना में लंबा होगा। जानकारी के अनुसार, वांस और उनका परिवार शिमला, हैदराबाद, जयपुर और दिल्ली की यात्रा की योजना बना रहे हैं।
इन दोनों नेताओं का दौरा अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गैबार्ड की भारत यात्रा के कुछ हफ्तों बाद हो रहा है। गैबार्ड ने प्रधानमंत्री मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल से मुलाकात की थी।
वॉल्ट्ज़ की यात्रा के दौरान वह “इंडिया-US TRUST” (Transforming the Relationship Utilising Strategic Technology) पहल के तहत सहयोग की घोषणा करेंगे। यह पहल पिछले महीने मोदी और ट्रंप के बीच बातचीत के बाद घोषित की गई थी।
TRUST पहल ने iCET (India-US Initiative on Critical and Emerging Technology) को प्रतिस्थापित किया है, जिसे मई 2022 में प्रधानमंत्री मोदी और तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन ने शुरू किया था। इसका उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच महत्वपूर्ण तकनीकों के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देना था।
पिछले वर्ष, दोनों देशों ने सेमीकंडक्टर, क्रिटिकल मिनरल्स, एडवांस टेलीकम्यूनिकेशन और डिफेंस स्पेस जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने के लिए कई बड़े कदम उठाए थे।
वॉल्ट्ज़ की NSA अजीत डोभाल के साथ गहन बातचीत और प्रधानमंत्री मोदी तथा विदेश मंत्री जयशंकर से मुलाकात की संभावना है।
इस बीच, राष्ट्रपति ट्रंप की टैरिफ नीति ने वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका को जन्म दिया है। फरवरी में वॉशिंगटन डीसी में मोदी और ट्रंप के बीच हुई बातचीत के बाद, दोनों देशों ने 2025 के पतझड़ तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर बातचीत शुरू करने की योजना की घोषणा की थी।