अंबाला:अकसर अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले हरियाणा के वरिष्ठ मंत्री अनिल विज ने सनसनीखेज आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में उन्हें हराने के लिए प्रशासन ने तमाम कोशिशें की थीं। इसके अलावा खूनखराबा भी कराने का प्रयास हुआ ताकि अनिल विज या फिर उसका कोई साथी मर जाए और चुनाव को प्रभावित किया जा सके। अपनी ही सरकार पर अनिल विज के इस तरह के आरोपों ने सियासत में नई सनसनी पैदा कर दी है। अनिल विज खुद को सीएम पद का दावेदार बताते रहे हैं, लेकिन एक बार फिर से नायब सिंह सैनी को ही मौका मिला है।
यहां तक कि पार्टी हाईकमान के आदेश पर विधायक दल की मीटिंग में अनिल विज ने ही सैनी का नाम सीएम के तौर पर प्रस्तावित किया था। इस मीटिंग में अमित शाह भी मौजूद थे। अंबाला में कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देने के लिए आयोजित कार्यक्रम में अनिल विज ने कहा कि मेरे साथ चुनाव में बहुत सारे खेल हुए। उन्होंने कहा, ‘प्रशासन ने मुझे हराने के लिए पूरी कोशिश की। इसकी जांच होनी चाहिए। नगर निकाय ने मेरी ओर से मंजूर सड़कों पर काम ही रोक दिया। इसके अलावा और काम भी रोके गए। प्रशासन यह भी चाहता था कि इस चुनाव में खूनखराबा हो जाए और मैं या फिर मेरा कोई कार्यकर्ता मारा जाए, जिससे चुनाव पर असर हो।’
मेरे कार्यक्रम में घुस आए थे उपद्रवी, कहां थी पुलिस?
अनिल विज ने अंबाला में ही चुनाव प्रचार के दौरान का एक वाकया सुनाकर अपने आरोप दोहराए। उन्होंने कहा कि शाहपुर गाांव की धर्मशाला में मैं एक कार्यक्रम के लिए गया था। इसके लिए चुनाव आयोग से परमिशन भी ली थी। आयोग जब किसी कार्यक्रम की परमिशन देता है तो उसके लिए पुलिस से एनओसी भी ली जाती है। मैं जब कार्यक्रम में गया तो वहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। इसी दौरान बड़ी संख्या में लोग हॉल में घुस आए। इन लोगों के पास लाठी और डंडे थे और इसी दौरान लड़ाई शुरू हो गई। यदि इस लड़ाई में कुछ हो जाता तो गलत होता। मैंने अपना धीरज नहीं खोया, लेकिन यह सवाल पूछना चाहूंगा कि आखिर उस दौरान पुलिस कहां चली गई थी।
‘घटना से एक दिन पहले वापस ली गई मेरी आधी सुरक्षा’
अनिल विज ने अपने आरोप को और आगे बढ़ाते हुए कहा कि मेरे पास जेड सिक्योरिटी थी। लेकिन घटना से पहले उनकी आधी सुरक्षा वापस ले ली गई थी। आखिर उस दिन सीआईडी कहां थी और उसे पहले से पता क्यों नहीं लगा कि वहां क्या होने वाला है। इसी तरह की एक घटना गरनाला गांव में हुई। मैंने कार्यक्रम में जाने से पहले ही डीजीपी, डीसी, चुनाव आयोग और रिटर्निंग ऑफिसर को बताया था कि वहां मेरा प्रोग्राम है। वहां लड़ाई भी हुई। यदि वहां पर कुछ अप्रिय हो जाता तो उसका जिम्मेदार आखिर कौन होता। पुलिस प्रशासन पूरी ताकत लगा रहा था कि अनिल विज हार जाए, लेकिन कुछ कार्यकर्ता बागी हो गए और उनके ही समर्थन से मुझे विजय मिल पाई।