कच्छ:भारत का समृद्ध प्रदेश गुजरात भारत के नक्शे में पश्चिमी क्षेत्र में स्थित है, जिसकी पश्चिमी और कुछ दक्षिण पश्चिम की सीमाएं अरब सागर से लगती हैं तो गुजरात प्रदेश की उत्तर-पश्चिम की सीमाएं पाकिस्तान से भी लगती हैं। गुजरात के तटीय क्षेत्रों में अवस्थित बंदरगाह, प्रदेश में व्याप्त हजारों फैक्ट्रियां, उद्योग, धंधे व विधि के अनुसार होने वाली खेती के कारण गुजरात भारत के समृद्ध प्रदेशों में विशिष्ट स्थान रखता है। ऐसे वैभावशाली प्रदेश को आध्यात्मिक वैभव प्रदान करने के लिए जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें देदीप्यमान महासूर्य, अहिंसा यात्रा प्रणेता, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना के साथ निरंतर यात्रा व प्रवास कर रहे हैं। वर्ष 2024 में गुजरात प्रदेश में अपनी धवल सेना के साथ पधारे शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी चार महीने का सूरत प्रवास करने के उपरान्त भी गुजरात के अन्य जिलों व क्षेत्रों में यात्रा व प्रवास कर रहे हैं। आचार्यश्री वर्ष 2025 का वर्धमान महोत्सव राजकोट में सम्पन्न कर तेरापंथ धर्मसंघ के महामहोत्सव ‘मर्यादा महोत्सव’ के भव्य आयोजन के लिए भुज की ओर गतिमान हैं।
कच्छ जिले की सीमा गतिमान मानवता के मसीहा आचार्यश्री महाश्रमणजी ने सोमवार को प्रातः की मंगल बेला में जूना कटारिया से मंगल प्रस्थान किया। आज का कुछ दूरी का विहार मार्ग कच्चा और धूल भरा था। उस मार्ग के दोनों ओर स्थित खेतों में मौसम और भूमि के अनुकूल फसल आदि भी लगे हुए थे। लगभग बारह किलोमीटर का विहार कर युगप्रधान आचार्यश्री सामखियाली में स्थित श्रीमती मणिबेन रमणिकलाल धनजी छाडवा विश्रांतिगृह में पधारे। विश्रांतिगृह से जुड़े हुए लोगों ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया।
विश्रांतिगृह परिसर में आयोजित प्रातःकाल के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में समुपस्थित जनता को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियां आ सकती हैं। उन परिस्थितियों में समता रखना एक साधना होती है। शास्त्र में कहा गया कि लाभ-अलाभ, सुख-दुःख, जीवन-मरण, निंदा-प्रशंसा, मान-अपमान जैसी द्वंदात्मक स्थितियां हैं, उनमें साधु समता भाव तो रखे ही, साधारण मनुष्य भी जितना संभव हो सके समता भाव रखने का प्रयास करना चाहिए। वह उनकी आत्मा के लिए हितकर हो सकता है। प्रतिकूल परिस्थिति में गुस्सा नहीं करना भी बहुत अच्छी बात है। किसी बात पर तत्काल गुस्सा करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। किसी भी परिस्थिति में जितना संभव हो सके समता-शांति रखने का प्रयास करना चाहिए।
गृहस्थ जीवन है तो परिवार में कोई छोटी-मोटी बात हो जाए तो भी आदमी को विशेष गुस्सा करने से बचने का प्रयास करना चाहिए। जीवन में कभी सम्मान हो जाए और कभी अपमान भी हो जाए तो यथासंभव समता रखने का प्रयास करना चाहिए। व्यापार आदि में कभी मुनाफा हो जाए तो ज्यादा खुशी नहीं और कभी घाटा हो गया तो आदमी को ज्यादा दुःखी नहीं बनने का प्रयास करें। कुल मिलाकर मानव जीवन में अधिक से अधिक समता भाव में रहने का प्रयास करना चाहिए। कोई निंदा करे और झगड़ा करे तो दूसरे को भी वैसा नहीं करना चाहिए। जितना संभव हो सके, अपना अच्छा कार्य करने का प्रयास करना चाहिए। अपनी ओर से किसी दूसरी की निंदा आदि से बचने का प्रयास करना चाहिए। सबके प्रति मैत्री की भावना रखने का प्रयास करना चाहिए।
मंगल प्रवचन के उपरान्त विश्रांतिगृह के ट्रस्टश्री श्री हेमराज भाई गडा ने आचार्यश्री के स्वागत में अपनी भावाभिव्यक्ति दी।