जयपुर:राजस्थान में गहलोत कैंप की बगावत का असर गुजरात चुनाव पर पड़ सकता है। गुजरात चुनाव में अशोक गहलोत को वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया गया है। गहलोत के कहने पर ही पार्टी आलाकमान ने कांग्रेस विधायक रघु शर्मा को गुजरात का प्रभारी नियुक्त किया था। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। गहलोत कैंप की बगावत के बाद नए समीकरण तलाशे जा रहे हैं। राजस्थान से सटे पड़ोसी राज्य गुजरात में इस साल के अंत में चुनाव हो सकते है। ऐसे में पार्टी आलाकमान के सामने नई चुनौती आ गई है। राजस्थान के नए राजनीतिक घटनाक्रम से कांग्रेस नेता अनिश्चितता के दौर से गुजर सकते हैं। रघु शर्मा भी अपनी सरकार को कायम रखने के लिए राजस्थान में ही जमे हुए हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि गुजरात चुनाव में कांग्रेस को अब नए सिरे से फिल्डिंग जमानी पड़ सकती है।
इस साल के आखिर में राजस्थान के पड़ोसी राज्य गुजरात में विधानसभा चुनाव होने के आसार हैं। गुजरात के लिए कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान कांग्रेस के नेताओं को जिम्मेदारी सौंप रखी है। प्रभारी के तौर पर मंत्री रहे वरिष्ठ नेता रघु शर्मा गुजरात में कांग्रेस की रणनीति बनाने के लिए चाणक्य की भूमिका में मौजूद हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी इतिहास के तजुर्बे को समझकर गुजरात चुनाव में सक्रिय भूमिका के साथ अपना रोल अदा कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सीएम गहलोत ने पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया था। लेकिन गहलोत कैंप की बगावत के बाद हालात बदल गए हैं। ऐसे में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
राजस्थान में बगावत के चलते कांग्रेस के मिशन गुजरात की तस्वीर धुंधली हो चली है।ऐसे में अशोक गहलोत की भावी भूमिका भी फिलहाल संदेह के दायरे में है। इस बगावत के बाद मुमकिन है कि अशोक गहलोत को कांग्रेस आलाकमान राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका में न देखना चाहे।