जयपुर:राजस्थान में कांग्रेस का सियासी संकट सुलझने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ गहलोत गुट के तीन बागी विधायकों पर एक्शन पेंडिंग है। वहीं, दूसरी तरफ अब पायलट गुट की तकरार भी बढ़ने लगी है। पार्टी के अंदर गुटबाजी का आलम यह है कि सत्ता पक्ष के विधायक अपने प्रदेश अध्यक्ष की बातों को दरकिनार कर दे रहे हैं। तभी तो एक तरफ प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा चेतावनी देते हैं कि एक-दूसरे पर बयानबाजी न करें। अगले ही दिन प्रदेश सरकार में मंत्री का पायलट को सीएम बनाने का बयान आ जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, एक अन्य विधायक इसका समर्थन भी कर देती हैं। इन सारे हालात के बीच समझ नहीं आ रहा है कि आखिर राजस्थान कांग्रेस चल क्या रहा है?
गुढ़ा ने क्या दिया बयान
राजेंद्र गुढ़ा राजस्थान की गहलोत सरकार में सैनिक कल्याण राज्यमंत्री हैं। उन्हें पायलट कैंप का माना जाता है। राजेंद्र गुढ़ा ने अपने हालिया बयान में सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही है। उन्होंने तो यहां तक कह डाला कि अगर राजस्थान में मुख्यमंत्री नहीं बदला गया तो अगले चुनाव में कांग्रेस विधायक फॉर्चूनर कार में बैठकर चार धाम की यात्रा पर जाएंगे। यानी, गुढ़ा का कहना है कि अगर पायलट को यहां पर सीएम नहीं बनाया जाता है तो राजस्थान में कांग्रेस सत्ता गंवा सकती है। गुढ़ा के इस बयान का समर्थन महिला विधायक दिव्या मदेरणा ने भी किया है।
चेतावनी भी हो रही है बेअसर
दिलचस्प बात यह है कि यह सारी बयानबाजी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की चेतावनी के बाद भी जारी है। डोटासरा ने स्पष्ट कहा है कि एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी न की जाए। असल में प्रदेश कांग्रेस राजस्थान में कांग्रेस के बीच बढ़ती बगावत की खाई को कम करने की कोशिश में लगे हुए हैं। लेकिन, गहलोत खेमे के तीन नेताओं पर अटकी पार्टी अनुशासन समिति की कार्रवाई, राजस्थान में पार्टी को नुकसान पहुंचाती नजर आ रही है। ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा ने तो बाकायदा ट्विटर पर वीडियो भी जारी किया था।
कहां फंस रहा है पेच
राजस्थान में कांग्रेस का पेंच लगातार फंसा हुआ दिखाई दे रहा है। गहलोत और पायलट कैंप में दूरी तो पहले ही थी। उम्मीद जताई जा रही थी कि अगले चुनाव तक मामले सुलझ जाएंगे। लेकिन, हुआ इसका बिल्कुल उल्टा। अध्यक्ष चुनाव के लिए सीएम अशोक गहलोत का नाम चलने लगा। इसके बाद दिल्ली से पहुंचे पर्यवेक्षक विधायकों के साथ मीटिंग करने वाले थे। यहीं पर अंदेशा हुआ कि सीएम की कुर्सी पायलट को दी जा सकती है। इस अंदेशे पर गहलोत खेमे ने बगावत कर दी। बाद में गहलोत ने सोनिया से माफी मांगी और फिलहाल राजस्थान सीएम की कुर्सी पर जमे हुए हैं। वहीं, सचिन पायलट की दुनिया अभी भी उम्मीद पर कायम है।