बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, उन्हें जैसा आकार दिया जाए, वे वैसा ही बन जाते हैं। उनके जीवन के शुरुआती कुछ साल उनके पूरे व्यक्तित्व की नींव रखते हैं। इस दौरान बच्चे अपने आसपास की हर चीज को ध्यान से देखते हैं, समझते हैं और बहुत तेजी से उसे अपनाते भी हैं। जितनी जल्दी वो अच्छी बातें सीखते हैं उससे कहीं गुना तेजी से बुरी आदतें उनका ध्यान खींचती हैं। दिलचस्पी की बात है कि ये गलत आदतें बच्चे को अक्सर अपने घर से ही लग जाती हैं। जब वो अपने मां-बाप और बाकी घरवालों को ये सब करता देखते हैं, तो जाहिर है उनके व्यक्तित्व में भी यह शामिल हो जाता है। ये गलत आदतें सिर्फ अभी दिक्कत नहीं देतीं बल्कि आगे का भविष्य भी प्रभावित होता है। इसलिए जिम्मेदार पैरेंट्स होने के नाते आपको इन आदतों का पता होना चाहिए और अगर आपके बच्चे में ये लक्षण दिख रहे हैं, तो आसपास के माहौल में बदलाव लाने पर विचार करना चाहिए।
झूठ बोलना
बच्चे के सामने अगर झूठ बोला जाए, तो बच्चे इस आदत को बहुत जल्दी सीख जाते हैं। कई बार पेरेंट्स को पता भी नहीं चलता और वो अपने ही बच्चे को जाने-अनजाने में झूठ बोलना सिखा देते हैं। उदाहरण के लिए, कोई दरवाजे पर आया हो और माता-पिता बच्चे से कहें, ‘कह दो, हम घर पर नहीं हैं’। अमूमन अपनी सुविधा के अनुसार मां-बाप बच्चे के सामने ऐसे छोटा-मोटा झूठ बोल देते हैं। उन्हें लगता है कि ये नॉर्मल है लेकिन इससे बच्चे को लगने लगता है कि झूठ बोलना सामान्य है। यह आदत धीरे-धीरे उनके व्यवहार का हिस्सा बन जाती है।
गुस्सा करना और चिल्लाना
घर के बड़े जो करते हैं बच्चे उसे बहुत तेजी से कॉपी करते हैं और जल्द ही यह आदतें उनके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाती हैं। अगर घर में कोई बड़ा बात-बात पर गुस्सा करता है, चिल्लाता है या हाथ उठाता है; तो बच्चे उसे एक सामान्य प्रतिक्रिया के रूप में अपना लेते हैं। वे यह मान लेते हैं कि बात मनवाने या किसी समस्या का हल निकालने का यही तरीका है कि खूब गुस्सा किया जाए या फिर तेज से चिल्लाया जाए। इस तरह से धीरे-धीरे बच्चे की गुस्सा करने और चिल्लाने की आदत बन जाती है।
दूसरों का अपमान करना या ताना मारना
बच्चे अपने बड़ों की बातों और भाषा को भी बहुत जल्दी पकड़ते हैं। यदि वे बार-बार सुनते हैं कि उनके घर का कोई बड़ा दूसरे लोगों का मजाक उड़ा रहा है, ताने मार रहा है या बुरा-भला कह रहा है, तो वे भी यही तरीका अपनाते हैं। इससे बच्चे में सहानुभूति की भावना खत्म होने लगती है और वो भी बात-बात पर दूसरों का अपमान करना या ताना मारना शुरू कर देते हैं।
मोबाइल या टीवी की लत
आजकल अधिकतर पेरेंट्स की यह शिकायत होती है कि उनका बच्चा बहुत ज्यादा मोबाइल और टीवी देखता है। लेकिन क्या कभी आपने यह गौर किया कि बच्चे की आदत किस वजह से पड़ी? दरअसल ज्यादातर मामलों में बच्चों के मोबाइल और टीवी देखने के लत के जिम्मेदार माता-पिता और घर के अन्य सदस्य ही होते हैं। जब बच्चे देखते हैं कि उनके माता-पिता हर वक्त मोबाइल में लगे रहते हैं या खाना खाते समय भी टीवी देखना जरूरी समझते हैं, तो वे भी उसी जीवनशैली को अपनाते हैं। धीरे-धीरे यह आदत लत बन जाती है, जो उनके मानसिक और शारीरिक विकास पर असर डालती है।