पंजगुर: बलूच यूनिटी कमेटी (BYC) के नेताओं, जिनमें डॉ. महरंग बलूच, सम्मी दीन बलूच, बेबर्ग बलूच, बेबो बलूच और अन्य कार्यकर्ता शामिल हैं, की गिरफ्तारी के खिलाफ हज़ारों लोगों ने प्रदर्शन किया।
बीवाईसी द्वारा आयोजित इस विरोध रैली में प्रदर्शनकारियों ने इन नेताओं की तुरंत रिहाई की मांग की और गिरफ्तारी के बाद हुई हिंसा की निंदा की।
बलूचिस्तान पोस्ट ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, “पंजगुर में बलूच यूनिटी कमेटी के नेताओं की अपहरण जैसी गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध रैली निकाली गई। प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी और हिंसा की घटनाएं भी सामने आई हैं।”
शनिवार को क्वेटा के सरियाब रोड पर स्थित विरोध शिविर से महरंग बलूच और 16 अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था। यह विरोध शिविर एक बड़े आंदोलन का हिस्सा था, जिसमें बलूच कार्यकर्ता न्याय और बलूच राजनीतिक गतिविधियों पर लग रहे कथित प्रतिबंधों को समाप्त करने की मांग कर रहे थे।
बीवाईसी की अपील पर यह प्रदर्शन पूरे बलूचिस्तान में फैल गया, और क्वेटा समेत कई शहरों में विरोध रैलियाँ और हड़तालें आयोजित की गईं।
पंजगुर की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने बैनर उठाकर और नारे लगाकर BYC नेताओं की तत्काल रिहाई की मांग की। रैली में शामिल लोगों ने बलूच जनता के अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखने और सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की अपील की।
इस बीच, महरंग बलूच के परिवार को उनसे मिलने में गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी बहन नादिया बलूच ने सोशल मीडिया पर बताया कि उन्हें महरंग से मिलने के लिए तीन घंटे तक अधिकारियों से अनुरोध करना पड़ा, जबकि उनकी छोटी बहन इकरा को मिलने की अनुमति ही नहीं दी गई।
नादिया ने X पर लिखा, “मैंने भूख हड़ताल की धमकी दी, तब जाकर मुझे मेरी बहन से कुछ मिनटों के लिए मिलने दिया गया। महरंग हिम्मत के साथ मुस्कुरा रही थी और उसने मुझसे कहा कि हमारी कौम को मजबूत रहना चाहिए और न्याय के लिए शांतिपूर्ण विरोध जारी रखना चाहिए।”
पिछले कुछ महीनों में बलूचिस्तान में विरोध प्रदर्शनों और राजनीतिक अस्थिरता की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। बलूच यूनिटी कमेटी, जो बलूच राष्ट्रवादियों का प्रतिनिधित्व करती है, पाकिस्तानी सरकार की नीतियों की मुखर आलोचक रही है। संगठन अधिक स्वायत्तता और कथित मानवाधिकार उल्लंघनों को समाप्त करने की मांग करता रहा है।
बीवाईसी नेताओं की गिरफ्तारी और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों पर कार्रवाई की अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने निंदा की है। उनका कहना है कि सरकार बलूच कार्यकर्ताओं की आवाज़ दबाने और उनके राजनीतिक अधिकारों को कुचलने की कोशिश कर रही है।
हालांकि, पंजगुर और पूरे बलूचिस्तान में प्रदर्शनकारियों का संकल्प अटूट बना हुआ है। वे अपने नेताओं की रिहाई और बलूच जनता के अधिकारों के लिए अपनी आवाज़ उठाते रहेंगे।