भगवान शिव को समर्पित सावन महीना 14 जुलाई, गुरुवार से प्रारंभ हो रहा है। मान्यता है कि भगवान शंकर की कृपा पाने के लिएयह महीना अति उत्तम होता है। सावन माह को श्रावण मास के नाम से भी जानते हैं। इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन महीने में देवों के देव महादेव की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले भक्तों को दुखों से मुक्ति मिलती है और मनोकामना पूरी होती है।
प्रीति योग में सावन माह की शुरुआत-
सावन के पहले दिन प्रीति योग का शुभ संयोग बन रहा है। प्रीति योग 15 जुलाई सुबह 04 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 16 जुलाई सुबह 12 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इस योग में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है।
सावन महीने के पहले दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:11 ए एम से 04:52 ए एम तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:59 ए एम से 12:54 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:45 पी एम से 03:40 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 07:07 पी एम से 07:31 पी एम तक।
सावन माह के नियम
शास्त्रों के अनुसार, सावन महीने में व्यक्ति को सात्विक आहार लेना चाहिए। इस माह में प्याज, लहसुन भी नहीं खाना चाहिए। सावन मास में मांस- मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस महीने भगवान शंकर की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए। इस माह में ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए। सावन के महीने में सोमवार के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है। अगर संभव हो तो सावन माह में सोमवार का व्रत जरूर करें। सावन सोमवार व्रत के दौरान भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
भगवान शिव की पूजा में प्रयोग होने वाली सामग्री-
पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।