मेरा नाम करेगा रोशन जग में मेरा राज दुलारा’, हिंदी सिनेमा है ये पुराना गाना मां-बाप और बेटे के रिश्ते को बड़ी खूबसूरती से बयां करता है। किस तरह मां-बाप अपने बेटे को ले कर कई सपने सजाते हैं, अपना बेहतर से बेहतर उसे देने की कोशिश करते हैं, इसपर तो सैकड़ों किताबें भी लिख दी जाएं तो कम हैं। खैर, ये खूबसूरत रिश्ता कई बार खटास में भी बदल जाता है और जैसा की स्वाभाविक है इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आपको शायद हैरानी भी होगी लेकिन कई बार तो मां-बाप ही कुछ ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जो उनके और उनके बेटे के बीच का रिश्ता खराब कर देती हैं। यहां तक कि स्थिति ऐसी भी हो जाती है कि दोनों एक ही छत के नीचे अजनबियों की तरह रहने लगते हैं। महान विद्वान और कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में इस बात को भी बड़े विस्तार से समझाया है। उन्होंने कुछ ऐसी बातों का जिक्र किया है जो एक बेटे के मां-बाप को करने से बचना चाहिए।
मां-बाप अक्सर अपने बच्चों की तुलना किसी दूसरे से करने लगते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा करने से बच्चा मोटिवेट होगा और शायद बेहतर बनने की कोशिश करेगा। लेकिन ज्यादातर मामलों में इसका ठीक उल्टा ही होता है। लगातार दूसरों से कंपेयर किए जाना बच्चे को एक हीनभावना और असुरक्षा की फीलिंग से भर देता है जो उसके भविष्य पर बुरा असर डाल सकता है। इसके अलावा बच्चे के मन में अपने पैरेंट्स को ले कर भी एक गुस्सा और घृणा वाली भावना आ सकती है, जिससे उन दोनों का रिश्ता काफी खराब हो सकता है।
मां-बाप के लिए कभी अपने बच्चे बड़े ही नहीं होते और इसका एक नेगेटिव इंपैक्ट यह पड़ता है कि पैरेंट्स बच्चों की कभी सुनना ही नहीं चाहते। बच्चा किसी चीज पर अपने विचार रखे या अपने इमोशन शेयर करे, तो कई पैरेंट्स इन्हें सीरियसली ही नहीं लेते और यूं ही टाल देते हैं। ऐसा करने से बेटे के मन में कहीं ना कहीं एक अलगाव आने लगता है और उसे लगने लगता है कि उसके मां-बाप को उसकी कद्र ही नहीं। दरअसल एक समय के बाद मां-बाप को भी यह समझना जरूर है कि उनका बेटा अब बड़ा हो गया है और उसे भी कुछ फैसले लेने का हक है। चीजों को लेकर उसके भी अपने कुछ स्वतंत्र विचार हैं। अगर आपको कुछ गलत लग रहा है तो आपको उसे समझाने का पूरा हक है लेकिन इसके लिए आपको उसे सुनना और समझना भी जरूरी है।
कौन मां-बाप नहीं चाहते कि उनका बेटा इतना अच्छा हो, इतना परफेक्ट हो कि वो पूरी दुनिया के आगे उसकी तारीफों के कसीदे पढ़ें। बेटे को एप्रिशिएट करना अच्छी बात है और यह एक पॉजिटिव तरीका है उससे बॉन्डिंग मजबूत बनाने का। लेकिन आचार्य चाणक्य के अनुसार आपका बेटा भले की कुल का दीपक क्यों ना हो लेकिन उसकी सार्वजनिक रूप से ज्यादा तारीफ करने से बचना चाहिए। ऐसा करने से कई बार लोगों को आपके बेटे से जलन हो सकती है, इस चक्कर में कोई उसका अहित भी कर सकता है। इतना ही नहीं कई बार नजर लगने से भी बच्चे की योग्यता पर नेगेटिव असर पड़ सकता है।
कई पैरेंट्स की आदत होती है कि वो हमेशा अपने बेटे को लेकर एक नेगेटिव रवैया ही अपनाए रखते हैं। बेटा कुछ करने भी जाए तो पहले ही उसपर अविश्वास जताकर चीजों को खराब कर देते हैं। अरे तुमसे नहीं हो पाएगा, तुम आजतक कुछ कर पाए हो जो ये करोगे, तुम हर काम बिगाड़ देते हो; ये कुछ ऐसी बातें हैं जो बेटे के मन को अंदर से तोड़कर रख देती हैं। ये बातें ना सिर्फ उसका आत्मविश्वास कम कर देती हैं बल्कि मां-बाप और बच्चे की बॉन्डिंग को भी खराब कर देती हैं।