भारत ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक और स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार भारत ने जापान को पीछे छोड़ते हुए अब विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का स्थान प्राप्त कर लिया है। यह तथ्य मात्र संख्यात्मक उपलब्धि नहीं, अपितु एक समग्र राष्ट्र-यात्रा की गाथा है — जिसमें संकल्प, श्रम, नीति और दूरदृष्टि सम्मिलित हैं।
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम द्वारा घोषित यह उपलब्धि, भारत की 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को रेखांकित करती है। यह घोषणा ऐसे समय पर हुई है जब ‘विकसित भारत 2047’ के संकल्प की दिशा में नीति आयोग तथा राज्यों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त मंथन किया है। ऐसे में यह आर्थिक उत्कर्ष, केवल एक आँकड़ा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति है।
भारत की आर्थिक गति वैश्विक औसत की तुलना में कहीं अधिक तेज़ है। IMF का अनुमान है कि भारत वर्ष 2025 में 6.2% तथा 2026 में 6.3% की दर से विकास करेगा, जबकि समस्त विश्व की अनुमानित वृद्धि दर क्रमशः 2.8% और 3% है। यह विभेद न केवल भारत की आंतरिक शक्ति का संकेत देता है, बल्कि विश्व में उसकी बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
सहयोग, नवाचार और समावेशन की राह पर
‘विकसित राज्य से विकसित भारत’ के भावपूर्ण लक्ष्य को लेकर दिल्ली में संपन्न नीति आयोग की दसवीं गवर्निंग काउंसिल बैठक में यह स्पष्ट हुआ कि भारत अपनी विकास-यात्रा को अब मात्र आंकड़ों की दौड़ नहीं, बल्कि समावेशी, पर्यावरण-संवेदनशील और नवाचार-प्रेरित दृष्टिकोण से देख रहा है। विनिर्माण, सेवाएँ, ग्रामीण तथा शहरी गैर-कृषि क्षेत्र, अनौपचारिक श्रम, हरित एवं परिपथीय अर्थव्यवस्था जैसे विषयों पर गहन विमर्श, यह दर्शाता है कि भारत भविष्य की नहीं, वर्तमान की तैयारियाँ कर रहा है।
टेक-ऑफ़ की वेला में भारत
सीईओ सुब्रह्मण्यम द्वारा किया गया यह कथन कि “भारत टेक-ऑफ़ स्टेज पर है”, एक साधारण वाक्य नहीं, बल्कि एक व्यापक यथार्थ का द्योतक है। जिस प्रकार कोई विमान अपनी उड़ान से पूर्व अत्यधिक ऊर्जा और संतुलन अर्जित करता है, उसी प्रकार भारत अब उन सभी बुनियादी सुधारों, संरचनात्मक बदलावों और रणनीतिक पहलों के बल पर ऊर्ध्वगामी उड़ान के लिए प्रस्तुत है।
अंतिम विचार
इस आर्थिक उत्थान को मात्र वैश्विक मान्यता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, अपितु यह राष्ट्र की आंतरिक चेतना, युवा शक्ति, उद्यमिता तथा शासन व्यवस्था की सुदृढ़ता का प्रतीक है। यदि भारत इसी गति से आगे बढ़ता रहा तो वह केवल वैश्विक आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि एक नैतिक, सांस्कृतिक और नीति-प्रेरक नेतृत्वकर्ता के रूप में भी उभरेगा।
‘विकसित भारत 2047’ का स्वप्न अब एक धुंधली आकांक्षा नहीं, अपितु एक संभाव्य और साकार गंतव्य प्रतीत होता है — जहाँ भारत न केवल आर्थिक दृष्टि से समृद्ध होगा, बल्कि न्यायसंगत, समावेशी और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में विश्वपटल पर अपना वर्चस्व स्थापित करेगा।
जय माँ भारती