नई दिल्ली:भारत के द्वारा गेंहू निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के बाद सोमवार कीमतें उच्चतम स्तर पर पहुंच गई हैं। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध की वजह से गेंहू की आपूर्ति प्रभावित हुई थी। अब भारत सरकार के इस फैसले की वजह से यह संकट और गहरा गया है। बता दें, भीषण गर्मी और लू की वजह से गेहूं उत्पादन प्रभावित होने की चिंताओं के बीच भारत ने अपने इस प्रमुख खाद्यान्न की कीमतों में आई भारी तेजी पर अंकुश लगाने के मकसद से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है।
सोमवार को यूरोपीय मार्केट में प्रति टन गेंहू का रेट 453 डाॅलर पर खुला है। भारत सरकार के फैसले के बाद 7 देशों के कृषि मंत्रियों इस फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि भारत सरकार के इस फैसले की वजह से ये संकट और गहरा जाएगा। वहीं भारत सरकार ने गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध पर कहा है कि पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकता को पूरा करने के अलावा इस फैसले से गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी जो पिछले एक साल में औसतन 14 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई हैं।
भारत के पक्ष में उतरा चीन
सात देशों के कृषि मंत्रियों द्वारा की गई आलोचना के बाद चीन भारत के बचाव में उतरा है। चीन ने इस पूरे मसले पर जारी बयान में कहा है कि भारत जैसे विकासशील देशों की आलोचना करने से दुनिया का खाद्यान की समस्या को समाप्त नहीं कर सकता है।
चीन ने पूछे कड़े सवाल
ग्लोबल टाइम्स में प्रकाशित लेख में चीन सवाल करता है, ‘जी7 देशों के कृषि मंत्री भारत से गेंहू के निर्यात पर प्रतिबंध नहीं लगाने का आग्रह करते हैं। ऐसे में जी7 देश अपने निर्यात में वृद्धि करके बाजार की आपूर्ति को स्थिर करने का प्रयास क्यों नहीं करते हैं।’ आगे लेख में चीन कहता है, ‘भले ही भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेंहू का उत्पादन करता हो, लेकिन निर्यात में उसकी हिस्सेदारी काफी कम है। इसके उलट अमेरिका, कनाडा, यूरोपीय यूनियन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देश गेंहू के बड़े निर्यातक हैं।
गेंहू की कीमतों में इस साल 60% का इजाफा हुआ है। जिसकी वजह से ब्रेड से लेकर केक तक की कीमतों में उछाल देखने को मिल रही है। पेरीस में एक टन गेंहू का भाव बढ़कर 450 डाॅलर प्रति टन हो गया है।