डेस्क:भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2025 से 2031 तक 6.7% की औसत दर से बढ़ने का अनुमान है। यह अनुमान क्रिसिल का है। क्रिसिल के मुताबिक वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 (FY26) में 6.5% जीडीपी ग्रोथ का अनुमान है। सामान्य मानसून, कम खाद्य मुद्रास्फीति और आसान मौद्रिक नीति जैसे कई फैक्टर हैं, जिस वजह से ग्रोथ को सपोर्ट मिलने की उम्मीद है।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा- मुझे नहीं लगता कि वैश्विक चुनौतियां खत्म हो गई हैं। अभी अस्थायी राहत मिलती दिख रही है लेकिन हमें चीजों के ठीक होने का इंतजार करना चाहिए। कुछ क्षेत्र अमेरिकी व्यापार नीतियों में संभावित बदलावों के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। हाई टैरिफ या व्यापार प्रतिबंधों के कारण टेक्सटाइल, ऑटो कंपोनेंट्स, रत्न और आभूषणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, अमेरिका में स्वास्थ्य देखभाल उत्पादों की मजबूत मांग को देखते हुए फार्मा उद्योग पर असर पड़ने की संभावना कम है। क्रिसिल इंटेलिजेंस के वरिष्ठ निदेशक मिरेन लोढ़ा ने कहा- फार्मा के मामले में अमेरिका में स्वास्थ्य देखभाल पर ध्यान केंद्रित करने की संभावना कम है।
मुश्किल वैश्विक हालात में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही में 6.2 प्रतिशत रही। अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में देश का जीडीपी 6.2 प्रतिशत बढ़ा जबकि जुलाई-सितंबर 2024 में वृद्धि दर 5.6 प्रतिशत रही थी। इस तरह जीडीपी वृद्धि सात तिमाहियों के निचले स्तर से उबरने में सफल रही। हालांकि बीती तिमाही का वृद्धि आंकड़ा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमान से कम है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के लिए 6.8 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान जताया था।
इसके साथ ही समूचे वित्त वर्ष के लिए वृद्धि अनुमान को सरकार ने अब मामूली रूप से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है जबकि पिछला अनुमान 6.4 प्रतिशत का था। हालांकि वित्त वर्ष 2023-24 के संशोधित वृद्धि अनुमान 9.2 प्रतिशत से यह काफी कम है।