डेस्क:रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा के चांदीपुर तट से बेहद कम ऊंचाई पर तेज गति से उड़ने वाले लक्ष्यों के खिलाफ वेरी शॉर्ट-रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS) के तीन सफल टेस्ट पूरे कर लिए हैं। इन टेस्ट के सफल होने से भारत की रक्षा क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। रक्षा मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी। परीक्षण बहुत कम ऊंचाई पर उड़ने वाले उच्च गति वाले लक्ष्यों के खिलाफ किए गए थे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वीएसएचओआरएडीएस (बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली) मिसाइलों के सफल उड़ान परीक्षणों के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और सशस्त्र बलों को बधाई दी। मंत्रालय ने कहा, ‘‘तीनों उड़ान परीक्षणों के दौरान, मिसाइलों ने अलग-अलग उड़ान स्थितियों में कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन के समान लक्ष्यों को रोका और उन्हें पूरी तरह से नष्ट कर दिया।’’ VSHORADS स्वदेशी तकनीक पर आधारित एक पोर्टेबल मिसाइल प्रणाली है, जिसे सेना के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है ताकि दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को कम ऊंचाई पर ही निष्क्रिय किया जा सके।
बयान में कहा गया है, ‘‘उड़ान परीक्षण अंतिम तैनाती स्थिति में किए गए, जहां दो फील्ड ऑपरेटर ने हथियार तैयारी, लक्ष्य प्राप्ति और मिसाइल दागने का परीक्षण किया।’’ वीएसएचओआरएडीएस ‘पोर्टेबल’ वायु रक्षा प्रणाली है जिसे रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) द्वारा डीआरडीओ की अन्य प्रयोगशालाओं और उद्योग भागीदारों के साथ स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
मंत्रालय ने कहा कि विभिन्न विश्लेषणों में वीएसएचओआरएडीएस मिसाइलों ने ड्रोन को नष्ट करने सहित अन्य हवाई खतरों को टालने की क्षमता प्रदर्शित की है। यह मिसाइल प्रणाली सेना के तीनों अंगों-थल सेना, वायु सेना, नौसेना की जरूरतों को पूरा कर सकती है।
परीक्षण की सफलता के मायने
इन परीक्षणों के दौरान मिसाइलों ने सभी लक्ष्यों को सफलतापूर्वक नष्ट किया, जो DRDO की तकनीकी विशेषज्ञता को दर्शाता है। यह प्रणाली आधुनिक इंफ्रारेड होमिंग तकनीक से लैस है, जो कम समय में सटीक हमले करने में सक्षम है। इस स्वदेशी प्रणाली के सफल विकास से भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति मिली है। यह प्रणाली दुर्गम क्षेत्रों में तैनात भारतीय सेना को तत्काल हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करने में सहायक होगी। VSHORADS की उन्नत तकनीक भारतीय सेना को भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिए तैयार करेगी।