यह केंद्रीय बजट भारत के समक्ष मौजूद विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों का समाधान करता है। यह 2047 तक भारत को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की दिशा में प्रेरणा देने वाली एक अहम पहल है। यह सराहनीय है कि इसमें कई विरोधाभासों को सुसंगत बनाने का प्रयास किया गया है। वाकई, संतुलन बनाने के लिए बुद्धिमत्ता और नेतृत्व की जरूरत होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस कार्य को पूरी जिम्मेदारी और विश्वसनीयता के साथ अंजाम दिया है। आइए, बजट के प्रमुख बिंदुओं पर विचार करते हैं:
अर्थव्यवस्था का विकास और स्थिरता: भारत, हाल के वर्षों में, संभवतः एकमात्र ऐसा देश है जिसने तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनने के अलावा विकास को समग्र आर्थिक स्थिरता के साथ जोड़ने का प्रयास किया है। वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद में 6.5 से 7 प्रतिशत की वृद्धि जारी रहने की उम्मीद है, जबकि मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के 4.5 फीसदी के ‘बैंड’ की ओर बढ़ रही है। विकास की गति बनाए रखते हुए समग्र रोडमैप आने वाले वर्ष में राजकोषीय घाटे को पांच प्रतिशत से कम रखने का सुझाव देता है, जो मध्यम अवधि के लक्ष्य 4.5 प्रतिशत के अनुरूप है।
पूंजीगत व्यय पर जोर: अनेक दबावों के बावजूद, अंतरिम बजट के साथ तालमेल बिठाते हुए पूंजीगत व्यय पर जोर जारी है। इस वर्ष भी पूंजीगत व्यय 11.11 लाख करोड़ रुपये है, जो भारत की जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है। सड़कों, राजमार्गों, हवाई अड्डों और औद्योगिक गलियारों में सुधार के लिए यह धन मांगा गया है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी और बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
रोजगार सृजन और प्रौद्योगिकी: पहली बार बजट में रोजगार सृजन के साथ प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ध्यान दिया गया है। 500 शीर्ष कंपनियों में एक करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप के लिए प्रभावी कार्यक्रम की घोषणा हुई है, जहां कंपनियों से प्रशिक्षण और इंटर्नशिप लागत का 10 प्रतिशत अपने सीएसआर फंड से वहन करने की उम्मीद की जाएगी।
पर्यटन और रोजगार: रोजगार सृजन के इंजन के रूप में पर्यटन के महत्व को पहचानते हुए वित्त मंत्री ने घोषणा की है कि सरकार सफल काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की तर्ज पर विष्णुपाद मंदिर कॉरिडोर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर के विकास में सहयोग करेगी, ताकि इन तीर्थस्थलों को विश्वस्तरीय तीर्थ और पर्यटन स्थलों में शुमार किया जा सके।
कृषि और पर्यावरणीय चुनौतियाँ: बजट यह मानता है कि कृषि के तौर-तरीके को बढ़ती पर्यावरणीय चुनौतियों से जोड़ने की जरूरत है। वित्त मंत्री ने जिक्र किया है कि सरकार उत्पादकता बढ़ाने और जलवायु-अनुकूल किस्मों के विकास के लिए कृषि अनुसंधान ढांचे की व्यापक समीक्षा करेगी।
विनिर्माण क्षेत्र और रोजगार: विनिर्माण क्षेत्र में पहली बार अतिरिक्त रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए योजना घोषित हुई है। यहां प्रोत्साहन कर्मचारी और नियोक्ता, दोनों को दिया जाएगा। बजट में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसमें एमएसएमई को वैश्विक स्तर पर बढ़ाने और प्रतिस्पर्धा के लिए वित्त-पोषण, विनियामक परिवर्तन और तकनीकी मदद देने के लिए पैकेज की घोषणा हुई है।
कॉरपोरेट कर दर और विदेशी निवेश: कॉरपोरेट कर दर में कटौती से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को प्रोत्साहन मिलेगा और प्रौद्योगिकी के विकास को बल मिलेगा। जिस गति से भारत में वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) बन रहे हैं, जिनकी संख्या 1,600 से अधिक है और 2028 तक 2,100 से ज्यादा होने का अनुमान है, उससे अर्थव्यवस्था का आधुनिकीकरण होगा और देश प्रौद्योगिकी के मामले में ज्यादा सक्षम बनेगा।
कर संरचना में सुधार: कर संरचना को तर्कसंगत बनाने से जीएसटी से अपेक्षित राजस्व लाभ में सुधार होगा। सीमा शुल्क के संबंध में शुल्क संरचना में सुधार काफी समय से लंबित था और यह भारत की कराधान संरचना को अंतरराष्ट्रीय संरचनाओं के अनुरूप बनाएगा।
आयकर अधिनियम 1961 की समीक्षा: प्रत्यक्ष करों के संबंध में आयकर अधिनियम 1961 की व्यापक समीक्षा की जरूरत को पहचानते हुए प्रतिबद्धता जताई गई है। इसे वैश्विक मानदंडों के अनुरूप बनाने की जरूरत है। उम्मीद है कि इस व्यापक समीक्षा के नतीजे तय समय सीमा में सामने आएंगे और 2025 के बजट में प्रतिबिंबित होंगे। हालांकि, इसके लिए इंतजार न करते हुए कर संरचना में कुछ बदलाव किए गए हैं।
बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष प्रबंध: बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष प्रबंध काफी समय से लंबित थे। प्रति व्यक्ति आय सबसे कम होने के चलते बिहार विकास के पिरामिड में सबसे निचले पायदान पर कायम है। बिहार अपने बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए एक निश्चित पहल का हकदार है। एक बिजली परियोजना और अन्य अनेक विकास योजनाओं की घोषणा की गई है। बोधगया, राजगीर, वैशाली और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की क्षमता का लाभ उठाया जाएगा। इसी तरह से आंध्र प्रदेश के संबंध में भी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की दिशा में कदम उठाए गए हैं।
यह बजट अक्षय ऊर्जा के दौर में व्यवस्थित बदलाव के लिए भी जिम्मेदारी से काम करता दिखता है। भारत को वैश्विक प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करना है और जलवायु अनुकूल बुनियादी ढांचा हमें जिम्मेदार देश के रूप में आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगा। कुल मिलाकर, यह एक ऐसा बजट है, जिसका लाभकारी प्रभाव आने वाले महीनों में महसूस किया जाएगा। शेयर बाजार सूचकांक में फौरी बदलाव के प्रति ज्यादा सही प्रतिक्रिया के लिए बजट के बारीक लफ्जों को पढ़ने और समझने की जरूरत है।
मैं इस बजट को विश्वसनीयता, जिम्मेदारी और सुसंगतता के मामले में उच्च रेटिंग दूंगा।