दिल्ली:रूस के प्रति रुख को और कड़ा करने की मांगों के बीच भारत सरकार ने कहा है कि वो रूस से कोयला आयात करना भी जारी रखना चाह रही है. स्टील के उत्पादन के लिए आवश्यक कोकिंग कोयला का आयात दोगुना किया जा सकता है.पश्चिमी देश लगातार भारत को रूस के प्रति अपना रुख कड़ा करने की अपील कर रहे हैं लेकिन भारत सरकार इन मांगों के बीच अपने हितों को प्राथमिकता देती नजर आ रही है. पहले रक्षा सौदों पर बात हुई, फिर सस्ते दामों में रूसी तेल खरीदने पर और अब कोयले पर चर्चा चल रही है. भारत के केंद्रीय इस्पात मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने नई दिल्ली में पत्रकारों को बताया, “हम रूस से कोकिंग कोयला आयात करने की दिशा में बढ़ रहे हैं” कोकिंग कोयला स्टील के उत्पादन के लिए आवश्यक होता है. भारत पहले से ही रूस से इसे आयात करता है. आ रहा है लाखों टन कोयला सिंह ने बताया कि भारत अब रूसी कोकिंग कोयले के आयात को दोगुना करने की योजना बनाना रहा है.
उन्होंने बताया कि 45 लाख टन कोयले का आयात हो चुका है, लेकिन उन्होंने इस आयात की अवधि नहीं बताई. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि रूस से कोकिंग कोयले के आपूर्ति बाधित हुई है. माना जा रहा है कि वो यूक्रेन युद्ध के विषय में बोल रहे थे. उन्होंने इस बारे में आगे विस्तार से नहीं बताया. कंसल्टेंसी कंपनी केपलर के अनुसार इस महीने कम से कम 10 लाख टन कोकिंग कोयला और थर्मल कोयला समुद्र के रास्ते भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचा दिया जाएगा. इतनी बड़ी मात्रा में रूसी कोयला जनवरी 2020 के बाद भारत में नहीं आया.
कोकिंग कोयले का इस्तेमाल मुख्य रूप से स्टील बनाने में किया जाता है और थर्मल कोयले का बिजली बनाने के लिए. रूस भारत के लिए इन दोनों का छठा सबसे बड़ा पूर्तिकर्ता है. व्यापारियों का कहना है कि चूंकि प्रतिबंधों की वजह से यूरोपीय और दूसरे ग्राहकों ने रूस से दूरी बना ली है, ऐसे में रूस चीनी और भारतीय ग्राहकों को और सस्ते दामों की पेशकश कर सकता है. प्रतिबंधों के बीच व्यापार उन्होंने कहा कि रुपए-रूबल व्यापार के इस्तेमाल से इस व्यापार को और मजबूत भी किया जा सकता है. कई मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि भारत सरकार रूपए-रूबल व्यापार को फिर से शुरू करने पर विचार कर रही है. दोनों मुद्राओं के बीच सही विनिमय दर स्थापित करने के लिए दोनों को किसी तीसरी विदेशी मुद्रा से जोड़ना होगा.