नई दिल्ली:संविधान दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह देश के लिए सबसे पवित्र ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि भारत ही लोकतंत्र की जननी है। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा, आज के ही दिन संविधान निर्माण का बहुत बड़ा कार्य संपन्न हुआ। उस दिन हम भारत के लोगों ने एक संविधान को अपनाया और आत्मसात किया। हमारा संविधान हमारे लोकतंत्र की आधारशिला है। हमारी सामूहिक और व्यक्तिगत स्वाभिमान को सुनिश्चित करता है। आज कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से मैं संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि देती हूं। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ.राजेंद्र प्रसाद और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने संविधान निर्माण का मार्गदर्शन किया। उन्होंने समावेशी सोच की छाप हमारे संविधान में अंकित किया।
उन्होंने कहा, स्पष्ट होता है कि भारत लोकतंत्र की जननी है। आपने लोकतंत्र को गौरव की इसी भावना के साथ इस विसेष अवसर पर एकत्र हुए हैं. यह अवसर संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों को याद करने का भी है। उन अधिकारियों के अमूल्य योगदान को भी याद करना चाहिए जिन्होंने नेपथ्य में रहकर काम किया। उनमें प्रमुख भूमिका बीएम राव की थी जो संविधान सभा के संवैधानिक सलाहकार थे।
राष्ट्रपति ने कहा स्वतंत्रता के 75 साल पूरे होने पर सभी देशवासियों ने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया है। आगामी 26 जनवरी को गणतंत्र की 75वीं वर्षगांठ मनाएंगे। ऐसे समारोह हमारी एकता को मजबूत बनाने की और यह दर्शाते हैं कि राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में हम एक साथ हैं। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान विभूतियों ने आदर्श रेखांकित किया। संविधान सभा में सभी प्रांतों और क्षेत्रों की प्रतिनिधित्व से अखिल भारतीय चेतना को बल मिला है। आज जिन पुस्तकों का विमोचन किया गया तथा जो शॉर्ट फिल्म दिखाई गई उनमें संविधान निर्माण के गौरव के इतिहास का परिचय प्राप्त होगा। भारत का संविधान मेधावी लोगों द्वारा तीन वर्ष के विचार विमर्श का परिणाम था। यह हमारे लंबे स्वतंत्रता संग्राम का परिणाम था। उन आदर्शों को संविधान की प्रस्तावना में व्यक्ति किया है। ये आदर्श, न्याय, स्वतंत्रता, समता और बंधुत्व है। इसमें उल्लिखिति आदर्श एक दूसरे के पूरक हैं और ऐसा वातावरण उपलब्ध करवाते हैं जिससे नागरिकों को समाज में योगदान देने का अवसर मिलता है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, संविधान की भावना के अनुसार कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का दायित्व है कि वे सामान्य लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए काम करें। संसद द्वारा पारित किए गए अधिनियमों से लोगों को अधिकार मिले हैं। 2018 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा मिला। महिला विकास को वास्तविक रूप दिया गया। नारी शक्ति बंदन अधिनियम से महिला सशक्तीकरण का नया युग शुरू हुआ। अपराध के स्थान पर सुरक्षा की भावना को मजबूत करने वाले नए कानून बनाए गए। ऐसे अनेक अधिनियमों को पारित करने के लिए सभी सांसदों की सराहना करती हूं। पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने लोगों के विकास के लिए कदम उठाए हैं। ऐसे में लोगों को प्रगति के अवसर मिल रहे हैं। गरीबों को खाद्य सुरक्षा, चिकित्सा, पक्का घर, राशन मिल रहा है। विश्व स्तर का इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाया जा रहा है। इन प्रयासों के लिए मैं सरकार की सराहना करती हूं। सुप्रीम कोर्ट के प्रयासों से न्यायपालिका न्याय प्रणाली को और अधिक प्रभावी बना रही है। हमारे देश में मूलभूत अधिकारों का दायरा समय के साथ बढ़ रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा, राजेंद्र प्रसाद ने कहा था कि कई चीजें जो संविधान में नहीं लिखा जा सकता उनका पालन परंपरा के आधार पर किया जाएगा। मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि संवैधानिक यात्रा के दौरान उन क्षमताओं को अर्जित करने में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। हमारे अनुभवों से आने वाली पीढ़ी अवगत करवाई जाएगी। 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। संविधान के प्रति युवाओं में उत्साह को देखकर हम देश के भविष्य के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं।