नई दिल्ली:काम-धंधे और रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में जाने वाले कामगारों की संख्या में पिछले 12 वर्षों के दौरान रिकॉर्ड कमी आई है। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) ने अपनी एक रिपोर्ट में राज्यों की समृद्धि को दर्शाते हुए कहा है कि अब लोगों को अपने ही घरों में रोजगार मिलने लगा है, जिसके कारण बाहर जाने की गति में कमी आई है।
प्रवासी कामगारों की संख्या में 12 प्रतिशत की कमी
2011 में प्रवासी कामगारों की संख्या 45.57 करोड़ थी, जो 2023 में घटकर 40.20 करोड़ रह गई। इस प्रकार, प्रवासी कामगारों की संख्या में 12 प्रतिशत की कमी आई है।
ईएसी-पीएम के पूर्व चेयरमैन बिबेक देबराय द्वारा लिखी गई रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासन में कमी के कारणों में शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचे और संपर्क जैसी सेवाओं की उपलब्धता में सुधार और बेहतर आर्थिक अवसरों का योगदान है।
भारत में घरेलू प्रवास में धीमापन
बिबेक देबराय ने आगे लिखा कि यह संकेत देता है कि देश में आर्थिक अवसरों में वृद्धि हो रही है। “40 करोड़ सपने! उच्च आवृत्ति डाटा का उपयोग करके भारत में घरेलू प्रवास की स्थिति और दिशाओं की जांच करना” शीर्षक से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कुल मिलाकर घरेलू प्रवास धीमा हो रहा है। 2011 की जनगणना के अनुसार प्रवास दर कुल जनसंख्या का 37.64 प्रतिशत थी, जबकि अब यह घटकर 28.88 प्रतिशत हो गई है।
इस रिपोर्ट में प्रवासी कामगारों की प्रवृत्ति का आकलन करने के लिए तीन प्रकार के आंकड़ों का उपयोग किया गया है- भारतीय रेलवे अनारक्षित टिकट प्रणाली डाटा, भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से मोबाइल टेलीफोन उपभोक्ताओं का रोमिंग डाटा, और जिला स्तरीय बैंकिंग डाटा।
रिपोर्ट में दी गई महत्वपूर्ण जानकारी
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, बेंगलुरु और कोलकाता जैसे महानगरों के आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग काम-धंधे के लिए बाहर जाते हैं।
ईएसी-पीएम रिपोर्ट की प्रमुख बातें
- 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बिहार और बंगाल से सबसे ज्यादा कामगार रोजगार के लिए बाहर जाते हैं। इन पांच राज्यों का प्रवासी कामगारों में 48 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें राज्य के भीतर के प्रवासी भी शामिल हैं।
- काम-धंधे के लिए निकलने वाले कामगार सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बंगाल और तमिलनाडु की ओर रुख करते हैं। इन राज्यों का प्रवासी कामगारों में 48 प्रतिशत हिस्सा है।
- असम को छोड़कर, पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्यों से लोग कामकाजी कारणों से बाहर जाते हैं, और इनमें से ज्यादातर लोग अपने पड़ोसी राज्यों में जाते हैं।
- अधिकांश प्रवासी अपने गृह राज्य के निकटवर्ती राज्यों में जाते हैं, जिसमें विवाह के कारण होने वाला स्थान परिवर्तन भी शामिल है।
- दिल्ली को छोड़कर अन्य केंद्रशासित प्रदेशों से भी लोग कामकाज के लिए बाहर निकलते हैं। पर्वतीय राज्यों के कामगारों में भी बाहर जाने की प्रवृत्ति देखी जाती है।