डेस्क:भारत और अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार के बीच दुबई में हुई ऐतिहासिक बातचीत ने क्षेत्रीय राजनीति को एक नई दिशा दी है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और अफगानिस्तान के रक्षा मंत्री मुल्ला याकूब मुत्तकी के बीच इस बैठक में मानवीय सहायता, चाबहार बंदरगाह के जरिए व्यापार बढ़ाने, स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार और शरणार्थियों के पुनर्वास जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई।
मानवीय सहायता और व्यापार पर जोर
इस बैठक में भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय और विकास सहायता जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई। चाबहार बंदरगाह को व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बनाने पर सहमति बनी, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर इस बैठक की तस्वीरें साझा कीं, जो दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग की झलक देती हैं।
विकास परियोजनाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग
भारत ने अफगानिस्तान के स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करने और शरणार्थियों के पुनर्वास में सहायता देने का आश्वासन दिया। विकास परियोजनाओं में भागीदारी को लेकर भारत की सक्रियता ने तालिबानी नेतृत्व को प्रभावित किया। मुल्ला याकूब मुत्तकी ने भारतीय नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि भारत ने अफगान जनता के साथ जुड़ाव बनाए रखने का सराहनीय प्रयास किया है।
क्रिकेट और युवाओं के लिए योजनाएं
बैठक में अफगान युवाओं के बीच लोकप्रिय क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए भी चर्चा हुई। दोनों देशों ने खेल के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने और युवाओं के विकास के लिए संयुक्त प्रयास करने का फैसला किया।
पाकिस्तान की बौखलाहट तय
भारत का यह कदम पाकिस्तान के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। अफगानिस्तान में अपनी पकड़ मजबूत करने की भारत की कोशिशों से पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ना स्वाभाविक है।
हाल ही में पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान में किए गए हवाई हमलों और तालिबान के साथ उसके बिगड़ते संबंधों के बीच भारत का यह कदम क्षेत्रीय राजनीति में नई परिस्थितियां पैदा करेगा।
नतीजा
दुबई में हुई यह बैठक सिर्फ द्विपक्षीय सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दक्षिण एशिया में भारत की बढ़ती कूटनीतिक सक्रियता का प्रतीक भी है। अफगानिस्तान में महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर भारत की चिंता बनी हुई है, लेकिन इस सकारात्मक जुड़ाव ने भारत-अफगान रिश्तों को एक नई मजबूती दी है।