डेस्क:पाकिस्तान और चीन जैसे देश भारत के पड़ोसी हैं, जिससे हर वक्त नया खतरा मंडराया करता है। एक तरफ पाक आतंकवाद फैलाने के लिए कुख्यात है तो चीन की नजर दूसरे देशों की जमीन पर टिकी रहती है। इसी वजह से भारत अपनी सेनाओं को लगातार ताकतवर बनाता रहता है। गुरुवार को भारतीय नौसेना ने के-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। 3500 किलोमीटर की रेंज वाली यह मिसाइल हाल ही में इंडक्ट की गई न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन (पनडुब्बी) से दागी गई है। बंगाल की खाड़ी में हुए इस परीक्षण को भारतीय डिफेंस डिपार्टमेंट के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इससे देश की न्यूक्लियर ताकत में इजाफा होगा। इस मिसाइल को पानी के भीतर से पनडुब्बी के जरिए दागा जा सकता है। इसके चलते दुश्मनों को हमले की भनक तक नहीं हो सकेगी।
डिफेंस सोर्सेस ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि मिसाइल टेस्ट के रिजल्ट को अभी एनालाइज किया जा रहा है। इसके बाद टॉप मिलिट्री और पॉलिटिकल लीडरशिप को ब्रीफ किया जाएगा। यह परीक्षण भारत की परमाणु त्रिकोण को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे परमाणु हमले की स्थिति में देश की जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता सुनिश्चित होगी। पानी के नीचे से लॉन्च किए जाने के लिए डिजाइन की गई K-4 बैलिस्टिक मिसाइल भारत के शस्त्रागार में एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने पहले मिसाइल को इसके पूर्ण-सीमा परीक्षण के लिए तैयार करने के लिए व्यापक परीक्षण किए थे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह ऐसे रणनीतिक हथियारों के लिए आवश्यक कड़े परिचालन मानकों को पूरा करता है। यह सफल परीक्षण आईएनएस अरिघाट को और मजबूत करता है, जिसे कुछ महीने पहले ही अगस्त 2024 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था।
पनडुब्बी को विशाखापत्तनम स्थित जहाज निर्माण केंद्र में शामिल किया गया था और इसमें अपने पूर्ववर्ती आईएनएस अरिहंत की तुलना में अधिक शक्तिशाली मिसाइल प्रणाली सहित उन्नत तकनीक है। आईएनएस अरिघाट में के-4 मिसाइलें लगी हैं जो 3,500 किलोमीटर से अधिक दूरी पर स्थित लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम हैं। यह आईएनएस अरिहंत पर मौजूद के-15 मिसाइलों की रेंज से कहीं अधिक है, जिसकी मारक क्षमता लगभग 750 किलोमीटर है। भारत के परमाणु पनडुब्बी बेड़े में INS अरिहंत भी शामिल है, जो पहली स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु ऊर्जा से चलने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी है। इसे साल 2018 में कमीशन किया गया था। इस कैटेगरी का तीसरा जहाज भी अगले साल नौसेना में शामिल किया जाएगा, जिससे देश की प्रतिरोधक क्षमता और मजबूत होगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आईएएनएस अरिघाट को कमीशन करते हुए इस बात पर प्रकाश डाला था कि यह पनडुब्बी भारत की तकनीकी क्षमता और सरकार की ‘आत्मनिर्भरता’ पहल का प्रमाण है।