नई दिल्ली/इस्लामाबाद: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस हमले में 26 लोगों की जान जाने के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं। अब भारत सरकार ने फार्मास्युटिकल्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (Pharmexcil) को पाकिस्तान को भेजी जा रही सभी दवाओं और फार्मा उत्पादों की विस्तृत सूची तुरंत तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
यह कदम ऐसे समय पर उठाया गया है जब पाकिस्तान अपनी दवा जरूरतों का 40 से 60 प्रतिशत तक हिस्सा भारत से आयात करता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की दवाओं पर अत्यधिक निर्भरता के कारण यदि यह आपूर्ति बाधित होती है, तो पाकिस्तान के स्वास्थ्य ढांचे पर गहरा असर पड़ सकता है।
फार्मा निर्यात की समीक्षा
भारत सरकार ने Pharmexcil से पिछले दो वर्षों में पाकिस्तान को किए गए दवा निर्यात का पूरा ब्यौरा भी मांगा है। सरकार द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की समीक्षा कर रही है, और दवा निर्यात पर संभावित रोक भी इसी प्रक्रिया का हिस्सा मानी जा रही है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत फिलहाल मानवीय दृष्टिकोण से काम ले रहा है, लेकिन जरूरी हुआ तो केवल आवश्यक दवाओं को ही निर्यात की अनुमति दी जा सकती है।
पाकिस्तान में हड़कंप
भारत के इस संभावित फैसले से पाकिस्तान में चिंता की लहर दौड़ गई है। ड्रग रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ पाकिस्तान (DRAP) ने कहा है कि भारत की ओर से अभी कोई औपचारिक अधिसूचना नहीं मिली है, लेकिन सभी संबंधित विभागों को सतर्क कर दिया गया है और वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश तेज कर दी गई है।
DRAP के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान पहले से ही चीन, रूस और यूरोपीय देशों के संपर्क में है, लेकिन वहां से दवाएं मंगवाने में समय और खर्च दोनों ज्यादा हैं।
भारत की दवाओं पर निर्भरता
पाकिस्तान की फार्मा इंडस्ट्री भारत से आने वाले कच्चे माल (एपीआई) और जीवन रक्षक दवाओं पर भारी निर्भर है। इनमें शामिल हैं:
- एंटी-कैंसर दवाएं
- एंटी-रेबीज और एंटी-स्नेक वेनम वैक्सीन
- मोनोक्लोनल एंटीबॉडी जैसे बायोलॉजिकल उत्पाद
- दवा निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा रासायनिक माल
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत द्वारा निर्यात रोके जाने की स्थिति में पाकिस्तान को गंभीर स्वास्थ्य संकट का सामना करना पड़ सकता है।
वैकल्पिक रणनीति पर काम
भारत से संभावित आपूर्ति रोक को देखते हुए पाकिस्तान ने तीन-तरफा रणनीति पर काम शुरू किया है:
- चीन और रूस से संपर्क बढ़ाना
- स्थानीय दवा उत्पादन को बढ़ावा देना
- यूरोपीय देशों से वैक्सीन और बायोलॉजिकल उत्पादों के लिए समझौते करना
हालांकि, जानकारों के अनुसार, इन विकल्पों को लागू करने में न केवल समय लगेगा बल्कि लागत भी काफी बढ़ेगी।
भारत का मानवीय रुख
पिछले वर्षों की तरह, भारत अब भी मानवीय आधार पर कुछ दवाओं की आपूर्ति जारी रखने पर विचार कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत आम जनता की भलाई को ध्यान में रखते हुए केवल आवश्यक दवाओं के निर्यात को ही अनुमति देगा।
भारत सरकार की ओर से जब फार्मा निर्यात की विस्तृत सूची सामने आएगी, तभी यह तय होगा कि किन दवाओं पर रोक लगाई जाएगी और किनका निर्यात जारी रहेगा। लेकिन यह स्पष्ट है कि यह कदम पाकिस्तान पर रणनीतिक दबाव बनाने और आतंकवाद के खिलाफ सख्त संदेश देने की नीति का हिस्सा है।