जम्मू-कश्मीर के सुरम्य पहलगाम की वादियों में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा किए गए इस वीभत्स हमले में 28 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। यह घटना केवल एक हमला नहीं, बल्कि भारत की संप्रभुता पर सीधा प्रहार था।
भारत ने इस हमले का जवाब न केवल शब्दों में बल्कि कूटनीतिक और रणनीतिक कदमों से भी दिया है। सरकार ने सिंधु जल संधि पर रोक लगा दी है – एक ऐसा समझौता जिसे दशकों से भारत ने निभाया, लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। इसके साथ ही अटारी-वाघा सीमा पर आम नागरिकों की आवाजाही भी पूरी तरह से रोक दी गई है। भारतीय दूतावास ने अपना स्टाफ वापस बुला लिया है और पाकिस्तान उच्चायोग से भी सैन्य सलाहकारों को विदा कर दिया गया है।
ये तमाम कदम दर्शाते हैं कि भारत अब नर्मी नहीं, बल्कि निर्णायक और कड़े कदमों की नीति पर चल पड़ा है।
सीधी कार्रवाई की वकालत कर रहे पूर्व सैन्य अधिकारी
सेना के कई पूर्व अधिकारी इस समय सर्जिकल स्ट्राइक जैसे सीमित हमलों की बजाय सीधी और निर्णायक सैन्य कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि आतंकवाद की असली जड़ रावलपिंडी में बैठी पाकिस्तानी सेना है, और जब तक उसे सबक नहीं सिखाया जाता, तब तक घाटी में खून बहता रहेगा।
पाकिस्तान की सैन्य ताकत भारत के सामने फीकी
इतिहास गवाह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हो चुके हैं, और हर बार पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा है। आज के दौर में भले ही युद्ध का स्वरूप बदल गया हो और दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हों, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि पाकिस्तान अब भी भारत का सैन्य रूप से मुकाबला नहीं कर सकता।
ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के अनुसार, भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति है, जबकि पाकिस्तान 12वें स्थान पर है। भारतीय सेना के पास 14.5 लाख सक्रिय सैनिक और 11.5 लाख रिजर्व सैनिक हैं। वहीं पाकिस्तान के पास मात्र 6.5 लाख सक्रिय और 5.5 लाख रिजर्व सैनिक हैं।
हथियारों की होड़ में भारत बहुत आगे
जहां तक हथियारों का सवाल है, भारत के पास टैंक, तोपें और बख्तरबंद गाड़ियां कहीं अधिक संख्या में हैं। भारत का ‘पिनाका’ रॉकेट सिस्टम, पाकिस्तान के ‘फतह’ सिस्टम से कहीं अधिक उन्नत और मारक है।
मिसाइलों की बात करें तो भारत के पास ब्रह्मोस, अग्नि-5, पृथ्वी और प्रलय जैसी आधुनिक मिसाइलें हैं, जो परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं। दूसरी ओर पाकिस्तान की शाहीन, गजनवी और बाबर मिसाइलें न केवल सीमित रेंज की हैं, बल्कि तकनीकी रूप से भी पिछड़ी हुई हैं।
समुद्र और आकाश में भी भारत की बढ़त
भारतीय नौसेना के पास दो विमानवाहक पोत और तीन परमाणु पनडुब्बियां हैं, जबकि पाकिस्तान के पास इस श्रेणी का कोई जहाज नहीं है। वायुसेना की बात करें तो भारत के पास 513 लड़ाकू विमान हैं, जो पाकिस्तान के 328 विमानों से काफी अधिक हैं।
भारत अब न्यूक्लियर ट्रायड (Triad) का सदस्य है, यानी वह ज़मीन, समुद्र और आकाश – तीनों माध्यमों से परमाणु हमला करने में सक्षम है। पाकिस्तान अभी इस स्तर पर नहीं पहुंच पाया है।
निष्कर्षतः, यह स्पष्ट है कि भारत अब रणनीतिक चुप्पी नहीं, बल्कि निर्णायक नीति की राह पर चल चुका है। पहलगाम की त्रासदी ने एक बार फिर यह याद दिला दिया है कि शांति की कोशिशों में नरमी को कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए — और भारत अब यह संदेश स्पष्ट रूप से दे रहा है।