डेस्क:सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक फैसले में कहा है कि किसी भी सरकारी सेवक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आने वाले किसी भी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले उसके खिलाफ शुरुआती जांच कराना जरूरी नहीं है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में एफआईआर दर्ज करने से पहले इस तरह का प्रारंभिक जांच का दावा करने का कोई कानूनी अधिकार भी नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उन सभी कर्मचारियों के लिए एक बड़ा झटका है, जो भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में FIR दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच का बहाना बनाकर अपने खिलाफ कार्रवाई से बच रहे थे या अपने खिलाफ कार्रवाई को अदालतों में चुनौती दे रहे थे।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा, “यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार के आरोपी लोक सेवक के खिलाफ मामला दर्ज करने (FIR) के लिए प्रारंभिक जांच करना अनिवार्य नहीं है। हालांकि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आने वाले मामलों सहित कुछ श्रेणियों के मामलों में प्रारंभिक जांच वांछनीय है, लेकिन यह न तो आरोपी का कानूनी अधिकार है और न ही आपराधिक मामला दर्ज करने के लिए कोई जरूरी शर्त है।”