नई दिल्ली। Om Birla: ओम बिरला एक बार फिर लोकसभा अध्यक्ष बन गए हैं। पद संभालते ही उन्होंने साल 1975 के आपातकाल का जिक्र कर दिया। साथ ही उन्होंने कह दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के रवैये को भी लोकतंत्र विरोधी करार दे दिया। बुधवार को विपक्ष भड़क गया और जमकर हंगामा किया। विपक्ष की नारेबाजी के बीच सदन को स्थगित कर दिया गया है।
संसद में रखा मौन
बुधवार को संसद में मौन रखा गया। बिरला ने कहा, ‘इमरजेंसी ने भारत के कितने ही नागरिकों का जीवन तबाह कर दिया था, कितने ही लोगों की मृत्यु हो गई थी। इमरजेंसी के उस काले कालखंड में, कांग्रेस की तानाशाह सरकार के हाथों अपनी जान गंवाने वाले भारत के ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और देश से प्रेम करने वाले नागरिकों की स्मृति में हम दो मिनट का मौन रखते हैं।’
इसके बाद सत्तापक्ष के सदस्यों ने कुछ देर मौन रखा, हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने नारेबाजी और टोकाटाकी जारी रखी। मौन रखने वाले सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, उनकी मंत्रिपरिषद के सभी सदस्य और सत्तापक्ष के अन्य सांसद शामिल रहे।
उन्होंने कहा, ‘1975 में आज के ही दिन तब की कैबिनेट ने इमरजेंसी का पोस्ट-फैक्टो रेटिफिकेशन किया था, इस तानाशाही और असंवैधानिक निर्णय पर मुहर लगाई थी। इसलिए अपनी संसदीय प्रणाली और अनगिनत बलिदानों के बाद मिली इस दूसरी आजादी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराने के लिए, आज ये प्रस्ताव पास किया जाना आवश्यक है। हम ये भी मानते हैं कि हमारी युवा पीढ़ी को लोकतंत्र के इस काले अध्याय के बारे में जरूर जानना चाहिए।’
स्पीकर ने कहा, ‘1975 से 1977 का वो काला कालखंड अपने आप में एक ऐसा कालखंड है, जो हमें संविधान के सिद्धांतों, संघीय ढांचे और न्यायिक स्वतंत्रता के महत्व की याद दिलाता है। ये कालखंड हमें याद दिलाता है कि कैसे उस समय इन सभी पर हमला किया गया और क्यों इनकी रक्षा आवश्यक है।’ उन्होंने कहा, ‘इमरजेंसी के दौरान लोगों को कांग्रेस सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी का, शहरों में अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई मनमानी का और सरकार की कुनीतियों का प्रहार झेलना पड़ा। ये सदन उन सभी लोगों के प्रति संवेदना जताना चाहता है।’
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी का जिक्र
बिरला ने पूर्व पीएम इंदिरा गांधी के भी लोकतंत्र विरोधी होने का दावा किया। उन्होंने कहा, ‘इतना ही नहीं, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कमिटेड ब्यूरोक्रेसी और कमिटेड ज्यूडिशियरी की भी बात कही, जो कि उनकी लोकतंत्र विरोधी रवैये का एक उदाहरण है। इमरजेंसी अपने साथ ऐसी असामाजिक और तानाशाही की भावना से भरी भयंकर कुरीतियां लेकर आई, जिसने गरीबों, दलितों और वंचितों का जीवन तबाह कर दिया।’
बिरला के सामने विपक्ष की तरफ से कांग्रेस सांसद के सुरेश को स्पीकर का उम्मीदवार बनाया गया था। हालांकि, लोकसभा में सत्तारूढ़ एनडीए के पास पूर्ण बहुमत है।