नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) में बढ़ी दूरियां और अंदरूनी खटपट पर केंद्र सरकार ने विराम लगा दिया है। केंद्र सरकार ने आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे 58 साल पुराने सरकारी आदेश को वापस ले लिया है। सरकार के इस फैसले पर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी लगे हैं, पर आरएसएस ने सरकार की सराहना की है। इस फैसले को भाजपा की भविष्य की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है, जिसमें उसे अपने राजनीतिक अभियान में आरएसएस के पूर्ण सहयोग की काफी ज्यादा जरूरत है।
राजनीतिक दृष्टि से यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों से भाजपा और आरएसएस में दूरी बन रही थी और परोक्ष रूप से एक दूसरे पर तंज भी कसे जा रहे थे। लोकसभा चुनाव में भी आरएसएस की तरफ से भाजपा के लिए पूरी ताकत से काम न करने का मुद्दा भी उभरा था, जिसका काफी नुकसान भाजपा को हुआ था। सूत्रों के मुताबिक, चुनावों के बीच में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का आरएसएस को लेकर दिया बयान भी आरएसएस को रास नहीं आया था। इसके पहले टिकट वितरण और कई संगठनात्मक व राजनीतिक फैसलों में भी आरएसएस की राय को दरकिनार किया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, हाल में आरएसएस के प्रांत प्रचारकों की रांची में हुई बैठक में भी यह मुद्दा परोक्ष रूप से आया था। इस बैठक में भाजपा के महासचिव संगठन बी एल संतोष भी मौजूद थे। इसके बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान भी चर्चा में रहा, जिसे परोक्ष रूप से भाजपा के लिए ही संदेश माना गया।
सूत्रों का यह भी कहना है कि मोदी सरकार में RSS के एजेंडे पर काफी काम हुआ है, लेकिन आरएसएस की राय और उसका सम्मान को लेकर दिक्कतें बढ़ी हैं। ऐसे में आरएसएस ने भी एक दूरी बनाई और भाजपा को चुनावों में नुकसान हुआ। अब भाजपा आरएसएस को साधने में जुटी है और इस आदेश को इसी दृष्टि से देखा जा रहा है। चूंकि इसका खुलासा भी गुरु पूर्णिमा के दिन हुआ है, जो आरएसएस में गुरु दक्षिणा के रूप में मनाया जाता है।
केंद्र के फैसले से लोकतांत्रिक प्रणाली मजबूत होगी : आरएसएस
आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, इस फैसले से देश की लोकतांत्रिक प्रणाली मजबूत होगी। सरकार का ताजा फैसला उचित है। आरएसएस पिछले 99 वर्षों से लगातार राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में सक्रिय है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता और प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर चलने में आरएसएस का योगदान रहा है।
आंबेकर ने आरोप लगाया, राजनीतिक हितों के कारण तत्कालीन सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर बेबुनियाद प्रतिबंध लगा दिया था। बता दें कि 1966 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने यह प्रतिबंध लगाया था।
BJP:
विपक्षी दलों की तुष्टिकरण में रुचि : पीयूष गोयल
भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने सत्ता का दुरुपयोग करते हुए गलत तरीके से आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे मोदी सरकार ने सुधारा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष केवल तुष्टिकरण की राजनीति करता है और हिंदू समाज के प्रति नकारात्मकता फैलाता है। इस तरह की देशभक्त व समाजिक संस्थाओं और संगठनों के प्रति कांग्रेस की सोच नकारात्मक ही रही है।
राष्ट्रीय अखंडता के लिए कार्य किया : गिरिराज सिंह
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने फैसले की सराहना करते हुए कहा, आरएसएस ने हमेशा सामाजिक सद्भाव और राष्ट्रीय अखंडता के लिए काम किया है। इसके स्वयंसेवकों ने प्राकृतिक आपदाओं और ऐसी अन्य त्रासदियों से प्रभावित लोगों की हमेशा मदद की है।
विपक्षी दलों ने फैसले का विरोध किया
सरकारी कर्मचारियों का राजनीतिकरण करना चाहती है सरकार : खरगे
कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर वैचारिक आधार पर सरकारी कर्मचारियों का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोमवार को आरोप लगाया, केंद्र इस फैसले से सरकारी कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहती है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, 1947 में 22 जुलाई को भारत ने अपना राष्ट्रीय ध्वज अपनाया था। आरएसएस ने तिरंगे का विरोध किया था। सरदार पटेल ने उन्हें चेतावनी दी थी।
उन्होंने कहा कि 4 फरवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्र का फैसला सरकारी दफ्तरों में लोक सेवकों के निष्पक्षता और संविधान के सर्वोच्चता के भाव के लिए चुनौती होगा। खरगे ने आरोप लगाया, पिछले 10 वर्षों में भाजपा ने सभी संवैधानिक और स्वायत्त संस्थानों पर संस्थागत रूप से कब्जा करने के लिए आरएसएस का उपयोग किया है।
सरकारी कर्मियों को तटस्थ रहना चाहिए: शशि थरूर
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने फैसले को ‘बहुत अजीब’ करार दिया। उन्होंने कहा, सभी के लिए काम करना सरकारी कर्मचारियों की जिम्मेदारी है और उन्हें ‘तटस्थ’ रहना चाहिए। आरएसएस का काम और सरकारी काम अलग-अलग हैं।
आरएसएस के निर्देश पर काम कर रही सरकार: तारिक अनवर
कांग्रेस नेता तारिक अनवर ने फैसले को गलत बताया और आरोप लगाया कि सरकार आरएसएस के निर्देश पर काम करती है। उन्होंने कहा, आरएसएस को राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार करने में 52 साल लगे। यही वजहें थी कि उस पर प्रतिबंध लगाया गया था।
सरकार बताए क्यों लिया फैसला: राजीव शुक्ला
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा, प्रतिबंध 1966 का है। इसके बाद जनसंघ की सरकार बनी, उसने प्रतिबंध नहीं हटाया। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी प्रतिबंध नहीं हटाया गया था। अब 10 वर्ष में ऐसा क्या बदलाव हुआ कि यह फैसला लेना पड़ा। सरकार को जवाब देना होगा।
स्पष्टीकरण देना होगा: कार्ति चिदंबरम
कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा, सरकार बताए कि करीब 50 साल से चले आ रहे एक आदेश को क्यों रद्द किया गया। भारत के पहले गृह मंत्री ने यह आदेश पारित किया था। सरकारी कर्मचारियों का किसी राजनीतिक संगठन से संबद्ध होना नौकरशाही की तटस्थता से समझौता है। सरकार को स्पष्टीकरण देना होगा।
बसपा
निर्णय देशहित से परे : मायावती
बसपा अध्यक्ष मायावती ने सोमवार को कहा कि प्रतिबंध को हटाने का केंद्र का निर्णय देशहित से परे है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, केंद्र का निर्णय राजनीति से प्रेरित है। यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा और आरएसएस के बीच तीव्र हुई तल्खी दूर हो सके। उन्होंने इस निर्णय को तुरंत वापस लेने की मांग की।
फैसला शर्मनाक: शिवसेना (यूबीटी)
शिवसेना (यूबीटी) की प्रियंका चतुर्वेदी ने फैसले को शर्मनाक बताया। उन्होंने कहा, इस आदेश से ईडी, आयकर विभाग, सीबीआई और अन्य सरकारी अधिकारी आधिकारिक तौर पर अपनी विचारधारा साबित कर सकते हैं।
बहुलता में विश्वास नहीं : असदुद्दीन ओवैसी
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, आरएसएस भारत की बहुलता में विश्वास नहीं करता है और भारतीय राष्ट्रवाद के खिलाफ है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या एनडीए में भाजपा के सहयोगी इससे सहमत हैं।
आजाद समाज पार्टी (कांशी राम)
अब आधिकारिक घोषणा हुई : चंद्रशेखर
आजाद समाज पार्टी (कांशी राम) के नेता चंद्रशेखर ने कहा, कौन कहता है कि इस पर पहले प्रतिबंध था। मैं ऐसे कई सरकारी अधिकारियों को जानता हूं जो कहते हैं कि वे आरएसएस में जाते हैं। अब यह आधिकारिक हो गया है।
बीजद
चौंकाने वाला फैसला : नवीन पटनायक
बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक ने कहा, केंद्र का कदम चौंकाने वाला है। मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकता।