लखनऊ : भाजपा के संगठन के साथ ही अब प्रदेश सरकार भी मिशन-2024 की तैयारियों में पूरी शिद्दत से जुटेगी। योगी सरकार के मंत्रियों को दो-दो लोकसभा क्षेत्रों का प्रभार सौंपा जाएगा। अब से लेकर लोकसभा चुनावों तक वे मंत्री इन्हीं लोकसभा क्षेत्रों में सक्रिय रहेंगे। कार्यकर्ताओं की समस्याएं सुनेंगे। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन की स्थिति देखेंगे। नये लोगों को जोड़ने के साथ ही वहां की कमजोर कड़ियों का फीडबैक भी पार्टी को देंगे।
मिशन-2024 को लेकर भाजपा नेतृत्व सूबे का सियासी तापमान आंकने में जुटा है। भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल संतोष की हालिया यात्रा इसी कवायद का हिस्सा थी। यूपी के शहरों से लेकर गांवों तक का सियासी मौसम परखने के साथ ही उन्होंने सरकार और संगठन का भी फीडबैक लिया। प्रदेश, क्षेत्र, जिलों, मोर्चा पदाधिकारियों, पंचायत अध्यक्षों संग किए गए मंथन को यूं तो पार्टीजनों ने राष्ट्रीय महामंत्री संगठन के नियमित प्रवास का हिस्सा बताया। मगर इसी मंथन से निकले मोती चुनावी तैयारियों के लिए बनने वाले ब्लू प्रिंट में जड़े जाएंगे। इसकी शुरुआत भी हो चुकी है।
पार्टी से जुड़े विश्वस्त सूत्रों की मानें तो कोर कमेटी संग मंथन में बीएल संतोष ने सरकार और संगठन दोनों को चुनावी तैयारी के मोर्चे पर जुटने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि संगठन बूथ स्तर तक सांगठनिक ढांचे को मजबूती दे, वहीं प्रदेश सरकार के सभी मंत्रियों को भी दो-दो लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी जाए। पार्टी ने इसे अमलीजामा पहनाने की कवायद शुरू कर दी है। जल्द ही सभी मंत्रियों के दो-दो लोकसभा क्षेत्रों के प्रभार वाली सूची तैयार कर ली जाएगी।
हारी सीटों का काम देख रहे केंद्रीय मंत्री
भाजपा ने 2019 में अकेले 62 लोकसभा सीटें जीती थीं,जबकि दो सीट उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को मिली थीं। रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीटें भी उपचुनाव में भाजपा की झोली में आ चुकी हैं। ऐसे में अब प्रदेश में सिर्फ 14 हारी हुई सीटें हैं। फिलहाल हारी हुई 14 लोकसभा सीटों का प्रभार चार केंद्रीय मंत्री संभाल रहे हैं। इनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, अश्वनी वैष्णव, जितेंद्र सिंह और अन्नपूर्णा देवी शामिल हैं।
कार्यकर्ताओं की शिकायत दूर होगी
भाजपा के तमाम कार्यकर्ताओं की शिकायत है कि जिलों में उनकी सुनवाई नहीं होती। अधिकारी तो छोड़िए तमाम जनप्रतिनिधि भी उनकी बात नहीं सुनते। इससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ती है। प्रदेश संगठन के पास तक भी ऐसी शिकायतें पहुंची हैं। अब प्रदेश के सभी 80 लोकसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी प्रदेश सरकार के मंत्रियों को सौंपे जाने के बाद कार्यकर्ताओं की भी नाराजगी स्थानीय स्तर पर दूर करने के प्रयास होंगे। मंत्रियों के नियमित प्रवास के चलते पार्टीजनों की भी सक्रियता बढ़ेगी।