सावन में फिर से शहर में बोल बम ताड़क बम…, हर हर महादेव … के जयकारे गूंज उठे हैं। कांवड़ यात्राओं का दौर शुरू हो गया है। चारदीवारी में सुबह से ही कावंड़ यात्राएं नजर आई। अलसुबह से गलता तीर्थ से कांवड़िए कांवड़ में जल लेकर निकले। ये जहां से गुजरे, भक्ति का रंग नजर आया। कांवड़ियों के साथ पुलिस वाले भी नजर आए।
हालांकि इस बार प्रशासन की सख्ती के चलते डीजे नहीं बज पा रहा है। भक्त ढोलक-मंजीरे बजाते हुए चल रहे थे, वहीं कांवड़ियों पर पुष्प वर्षा की जा रही थी। कांवड़िए गलता गेट, सूरजपोल बाजार, रामगंज बाजार, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार छोटी चोपड़ होते हुए निकले, तो चारदीवारी शिवमय नजर आई। आज बड़ी कांवड़ यात्रा बगरू वालों का रास्ता पहुँची। इसके अलावा शहर के अन्य शिवालयों में भी कांवड़ यात्रा पहुँची। भक्तों ने कांवड़ जल से शिवजी का अभिषेक किया। 2 अगस्त को नौवां विशाल कावंड यात्रा गलता पीठ से श्री शक्ति पीठ वात्सल्य साधना केंद्र जामडोली, जयपुर निकाली जाएगी। 2 अगस्त शुक्रवार को सुबह 5 बजे से इस यात्रा की शुरुआत होगी। इस यात्रा के लिए अनंत श्री विभूषित श्री स्वामी सम्पत कुमार अवधेशाचार्य जी महाराज गलता जी का आशीर्वाद के साथ वात्सल्यमूर्ति परम पूज्या दीदीमाँ साध्वी ऋतम्भरा जी की परम शिष्या दीदी साध्वी समदर्शी गिरी जी (संस्थापिका श्री शक्ति पीठ जामडोली जयपुर) के पावन सान्निध्य में ध्वजा पूजन होकर प्रारंभ होगी। कांवड़ यात्रा के दौरान घर के लोग न करें ये गलतियां
- ऐसा कहा जाता है कि यदि आपके घर से कोई कांवड़ यात्रा पर गया है, तो आपको सात्विक आहार ग्रहण करना चाहिए। साथ ही खाने में छौंक लगाने से भी बचना चाहिए।
- तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए।
- पलंग पर नहीं सोना चाहिए।
- ज्यादा से ज्यादा पूजा-पाठ करना चाहिए, ताकि जो कांवड़ यात्रा पर गया हो, उसकी यात्रा सफल हो सके।
- प्रतिदिन घर में कीर्तन का आयोजन करना चाहिए।
- भगवान शिव के समक्ष रोजाना दीया जलाना चाहिए।
- इसके अलावा सावन माह के दौरान किसी भी गलत कार्य को करने से बचना चाहिए।
कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व
कांवड़ यात्रा सिर्फ एक तीर्थयात्रा से कहीं अधिक है, यह आस्था, भक्ति और तपस्या की यात्रा है। भगवान शिव के भक्तों का मानना है कि सावन माह के दौरान भगवान शिव को गंगाजल अर्पित करने से उनके आशीर्वाद के साथ-साथ आध्यात्मिक विकास की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही परिवार की उन्नति होती है। बता दें, यह यात्रा भक्तों की अटूट आस्था और भगवान शिव का दिव्य आशीर्वाद पाने की उनकी इच्छा का भी प्रतीक है।