आज से विवाह सहित सभी मांगलिक कार्यों पर लगभग पांच माह का विराम लग रहा है। प्रमुख ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस वर्ष दो महत्वपूर्ण कारणों से यह विराम और भी विशेष हो गया है — पहला, आज से बृहस्पति ग्रह का अस्त होना, और दूसरा, आगामी 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी का आगमन। इन दोनों कारणों से अब नवंबर तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाएंगे।
पंडित शरद चंद्र मिश्र के अनुसार, बृहस्पति के अस्त होते ही विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि बृहस्पति को मांगलिक कार्यों का प्रमुख कारक माना जाता है। इसके अतिरिक्त 6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा में प्रवेश करेंगे, जिसे चातुर्मास कहा जाता है।
क्या है चातुर्मास?
चातुर्मास वह अवधि है जब भगवान विष्णु शयन करते हैं और चार महीनों तक सभी मांगलिक कार्य रुक जाते हैं। इस समय में शादी, जनेऊ, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे कार्य नहीं किए जाते। साधु-संत और श्रद्धालु भजन, पूजन, व्रत, स्वाध्याय और दान-पुण्य जैसे कार्यों में रत रहते हैं।
अब कब होंगे शुभ विवाह?
चातुर्मास का समापन 18 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के दिन होगा। इसी दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागेंगे और मांगलिक कार्यों की पुनः शुरुआत होगी। नवंबर और दिसंबर में विवाह के लिए कई शुभ तिथियां मिलेंगी।
विवाह के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं:
- नवंबर 2025: 18, 19, 21, 22, 23, 24, 25, 29, 30
- दिसंबर 2025: 1, 4, 5, 6
चातुर्मास में क्या करें, क्या न करें?
करें:
- भगवत पूजन, शिव पुराण पाठ
- महामृत्युंजय जाप
- एकांत में स्वाध्याय और साधना
- गौ सेवा, ब्राह्मण सेवा, तीर्थ यात्रा
- दान-पुण्य और धार्मिक आयोजन
न करें:
- विवाह, उपनयन, मुंडन
- गृह प्रवेश
- कीमती वस्तुओं की खरीदारी
निष्कर्ष:
आज से मांगलिक कार्यों पर विराम लग गया है। यह समय भौतिक उत्सवों की बजाय आत्मिक साधना और धार्मिक आचरण का है। अब शहनाइयों की गूंज 18 नवंबर के बाद ही सुनाई देगी, जब भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे और शुभ कार्यों के द्वार पुनः खुलेंगे।