आज शनिवार को दुर्गा अष्टमी है, जो कि चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि है। इस तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन मां के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। मां महागौरी का वाहन बैल और उनका शस्त्र त्रिशूल है। वे परम कृपालु हैं और कठिन तपस्या करके गौरवर्ण प्राप्त कर महागौरी के नाम से विश्वभर में प्रसिद्ध हुईं। भगवती महागौरी की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और भक्तों को अभय, रूप और सौंदर्य का आशीर्वाद मिलता है। इसके अलावा, वे शरीर में उत्पन्न होने वाली नाना प्रकार की विष व्याधियों का नाश कर जीवन को सुख-समृद्धि और आरोग्यता से पूर्ण करती हैं।
अधिकतर घरों में अष्टमी का पूजन होता है, और कई लोग इस दिन कन्या पूजन भी करते हैं। अब जानते हैं अष्टमी, हवन और कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त:
अष्टमी, हवन और कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त:
ज्योतिषाचार्य विभोर इंदूसुत के अनुसार, अष्टमी पर पूरे दिन शुभ समय रहेगा, लेकिन 10:30 से 12:00 बजे तक विशेष पूजन मुहूर्त रहेगा। इसी दौरान पूजन और कन्या पूजन करना सर्वोत्तम रहेगा। ज्योतिषाचार्य भारत ज्ञान भूषण के अनुसार, 5 अप्रैल को सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि शुभ योग में पुनर्वसु नक्षत्र में विद्यमान है, जो शाम 7:29 बजे तक रहेगा।
शुभ योग: सुबह 07:41 – 09:15 बजे तक
अभिजित योग: दोपहर 11:59 – 12:49 बजे तक
लाभामृत मुहूर्त: दोपहर 01:58 – 05:06 बजे तक
पूजा-विधि:
- सबसे पहले सुबह स्नान करें और मंदिर को स्वच्छ करें।
- दुर्गा माता का गंगाजल से अभिषेक करें।
- माता को अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें।
- सभी देवी-देवताओं का जलाभिषेक करें और उन्हें फल, फूल और तिलक लगाएं।
- प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
- घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं।
- दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
- हवन के बाद पान के पत्ते पर कपूर और लौंग रखकर माता की आरती करें।
- अंत में क्षमा प्रार्थना करें।
इस प्रकार, दुर्गा अष्टमी के दिन विशेष पूजा विधि और समय का पालन करके आप अपनी मनोकामनाओं की सिद्धि और देवी माँ से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।