नई दिल्ली:पांच साल पहले चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था। हालांकि, लैंडिंग के वक्त चंद्रयान-2 क्रैश हो गया था, लेकिन उसका ऑर्बिटर अब भी अंतरिक्ष में मौजूद है। इसरो ने हाल ही में चंद्रयान-2 को लेकर बड़ा कमाल किया है। दरअसल, इसरो न चंद्रयान-2 ऑर्बिटर और चंद्रमा के ऊपर कोरियाई पाथफाइंडर लूनर ऑर्बिटर (केपीएलओ) के बीच संभावित टक्कर को सफलतापूर्वक टाल दिया। यदि यह हादसा होता तो दोनों ऑर्बिटर को नुकसान हो सकता था, जोकि स्पेस जगत के लिए बड़ा झटका होता।
सितंबर 2024 के लिए इसरो के अनक्लासिफाइड मंथली समरी के अनुसार, 19 सितंबर को निर्धारित चंद्रयान-2 ऑर्बिटर के लिए प्लांड मैनुअर को कोरियाई ऑर्बिटर के साथ टकराने को रोकने के लिए सावधानी से संशोधित किया गया था। माना जा रहा था कि एक अक्टूबर को यह टकराव हो सकता है और इसी वजह से कुछ ही दिन बचे होने के चलते इसरो ने तेजी से ऐक्शन लिया। एडजेस्टमेंट में ऑर्बिटर ओएम 87 के रास्ते को बदलना था। इसके अलावा, इसरो ने अगले मैनुअर ओएम 88 के टेंटेटिव प्लान में भी बदलाव किया था, ताकि नासा के एलआरओ समेत अन्य ऑर्बिटर के साथ इसकी किसी भी तरह के टकराव को रोका जा सके।
बताते चलें कि अब तक देश में तीन मून मिशन लॉन्च हो चुके हैं। तीसरे मून मिशन चंद्रयान-3 ने पिछले साल अगस्त में सफलता हासिल की थी, जब चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव पर इसने सफलतापूर्वक लैंड किया था। दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने इसरो को बधाई दी थी। उससे पहले, साल 2019 में चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया था, लेकिन यह आखिरी क्षणों में सेक्सेसफुल लैंडिंग नहीं कर पाया था। इसके बाद भी चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है और वैज्ञानिकों को चंद्रमा और स्पेस से जुड़ीं अहम जानकारियां मुहैया करवा रहा।