इस्लामाबाद:क्या पाकिस्तानी सेना अब कुर्सी से हटाए गए इमरान खान को सजा देगी? दरअसल अपने खिलाफ लगाए गए नारों से पाकिस्तानी सेना काफी गुस्से में है। पाकिस्तानी सेना ने मंगलवार को दावा किया कि देश की सेना को बदनाम करने के लिए कुछ वर्गों द्वारा “प्रचार” अभियान चलाया जा रहा है। यह बयान रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय में आयोजित 79वें फॉर्मेशन कमांडरों के सम्मेलन के बाद जारी किया गया।
इस उच्च स्तरीय बैठक में देश के सेना के कोर कमांडर, प्रमुख स्टाफ अधिकारी और पाकिस्तान के थल सेना प्रमुख (सीओएएस) जनरल कमर जावेद बाजवा शामिल हुए। इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) ने एक बयान में कहा, “फोरम ने पाकिस्तान सेना को बदनाम करने और संस्था और समाज के बीच विभाजन पैदा करने के लिए हाल के प्रचार अभियान पर ध्यान दिया है।” पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ने कहा कि राष्ट्र की राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है।
आईएसपीआर ने कहा, “पाकिस्तानी सेना इसकी रक्षा के लिए हमेशा सरकारी संस्थानों के साथ खड़ी रही है और हमेशा रहेगी।” जियो न्यूज ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख बाजवा के हवाले से कहा, “पाकिस्तानी सेना अपनी जिम्मेदारियों से अवगत है और सभी परिस्थितियों में सभी आंतरिक और बाहरी खतरों के खिलाफ पाकिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करना जारी रखेगी।”
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेता शेख राशिद अहमद द्वारा पंजाब प्रांत में इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाने के खिलाफ एक रैली के दौरान “चौकीदार चोर है” के नारे लगाए जाने के कुछ दिनों बाद सेना की तरफ से इस तरह की बात सामने आई है। ये नारे जाहिर तौर पर देश की सेना के लिए थे।
इमरान खान को सत्ता से बेदखल किए जाने के विरोध में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की लाल हवेली में हजारों की संख्या में लोग जमा हुए थे। विरोध के दौरान, भीड़ ने सेना को “चौकीदार” के रूप में बताते हुए उन्हें “चोर” कहा जो इमरान खान के जनादेश को “चोरी” कर रही थी।
हालांकि, एक वायरल वीडियो में पूर्व गृह मंत्री शेख राशिद प्रदर्शनकारियों को देश की सेना के खिलाफ नारे लगाने से रोकने की कोशिश करते नजर आए। उन्होंने कहा, “नारे मत लगाओ..हम शांति से लड़ेंगे।” पाकिस्तान में सोशल मीडिया ट्रेंड ने भी पाकिस्तानी सेना की खिंचाई की।
कुछ दिनों पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा को बर्खास्त करने की कोशिश कर सत्ता पर काबिज होने का एक अंतिम हताशापूर्ण प्रयास किया था, लेकिन रक्षा मंत्रालय द्वारा बाजवा को हटाने की अधिसूचना जारी नहीं की गई थी।