बीजिंग: चीन राजधानी बीजिंग के पास एक विशाल सैन्य कमांड सेंटर का निर्माण कर रहा है, जो आकार में अमेरिका के पेंटागन से दस गुना बड़ा हो सकता है। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इस निर्माण की जानकारी दी है।
“बीजिंग मिलिट्री सिटी” नामक इस सैन्य केंद्र का निर्माण मध्य 2024 में शुरू हुआ था। सैटेलाइट तस्वीरों में इस 1,500 एकड़ क्षेत्र में गहरे गड्ढे खुदे हुए दिखाई दे रहे हैं। यह इलाका बीजिंग से लगभग 30 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित है।
सैन्य बंकर और रणनीतिक महत्व
रिपोर्ट के अनुसार, यह नया सैन्य मुख्यालय विशाल इमारतों और मजबूत बंकरों से सुसज्जित होगा, जो किसी भी युद्ध या परमाणु हमले की स्थिति में शीर्ष चीनी नेतृत्व को सुरक्षित रखने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
एक अज्ञात चीनी शोधकर्ता ने फाइनेंशियल टाइम्स को बताया, “यह किला केवल एक ही उद्देश्य से बनाया जा रहा है—एक ‘डूम्सडे बंकर’ के रूप में, जो चीन की आधुनिक और सक्षम सेना को सुरक्षित रख सके।”
सुरक्षा कड़ी, कोई आधिकारिक जानकारी नहीं
इस परियोजना से जुड़ी जानकारी को बेहद गुप्त रखा गया है। वाशिंगटन में चीनी दूतावास ने कहा कि उन्हें इस प्रोजेक्ट की कोई जानकारी नहीं है। हालाँकि, निर्माण स्थल पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और ड्रोन उड़ाने या तस्वीरें लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, साइट पर तैनात गार्डों ने प्रवेश से मना कर दिया और परियोजना के बारे में किसी भी जानकारी को साझा करने से इनकार कर दिया।
चीन की भविष्य की सैन्य योजनाएँ
फिलहाल, चीन का मुख्य सैन्य कमांड सेंटर पश्चिमी पहाड़ियों (Western Hills) में स्थित है, जिसे शीत युद्ध के दौरान बनाया गया था।
पूर्व CIA अधिकारी डेनिस वाइल्डर ने कहा, “अगर यह रिपोर्ट सही है, तो यह नया भूमिगत सैन्य कमांड बंकर चीन की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। यह केवल एक पारंपरिक सैन्य शक्ति ही नहीं, बल्कि एक उन्नत परमाणु युद्धक क्षमता विकसित करने की दिशा में भी बड़ा कदम है।”
अमेरिका से शक्ति संतुलन की कोशिश?
गौरतलब है कि अमेरिका का पेंटागन, जो वर्जीनिया राज्य में स्थित है, दुनिया की सबसे बड़ी सैन्य इमारतों में से एक है और अमेरिकी रक्षा विभाग का मुख्यालय है।
इस बीच, चीन अपनी परमाणु शक्ति को भी तेजी से बढ़ा रहा है। पेंटागन के अनुसार, 2035 तक चीन के पास 1,500 चालू परमाणु हथियार होंगे, जो अमेरिका की परमाणु शक्ति के बराबर होंगे।
चीन की यह नई सैन्य परियोजना वैश्विक सुरक्षा संतुलन में बड़े बदलाव का संकेत देती है। यदि यह सैन्य केंद्र पूरी तरह से तैयार होता है, तो यह भविष्य के सैन्य संघर्षों में चीन की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।