वॉशिंगटन: चीन की प्रतिशोधात्मक कार्रवाई के चलते अमेरिका में आयातित चीनी सामानों पर अब 245 प्रतिशत तक टैरिफ (शुल्क) लगाया जा रहा है। व्हाइट हाउस द्वारा जारी एक फैक्ट शीट के अनुसार, इस हालिया संशोधन से पहले चीनी निर्यात पर 145 प्रतिशत टैरिफ लगाया जा रहा था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उन देशों पर प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाए थे जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा है। हालांकि, कई देशों के साथ व्यापार समझौते को लेकर बातचीत शुरू होने के बाद ट्रंप ने 90 दिनों के लिए इन टैरिफ को रोक दिया था।
व्हाइट हाउस की फैक्ट शीट में कहा गया, “अब तक 75 से अधिक देशों ने अमेरिका से नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करने के लिए संपर्क किया है।”
फैक्ट शीट में आगे कहा गया, “इन चर्चाओं के चलते अधिकांश देशों के लिए व्यक्तिगत रूप से तय उच्च टैरिफ फिलहाल रोके गए हैं, लेकिन चीन ने जवाबी कार्रवाई की है, इसलिए उसके लिए यह रोक लागू नहीं है।”
फिलहाल, अमेरिका में आयात पर 10 प्रतिशत का सामान्य टैरिफ लागू रहेगा।
राष्ट्रपति ट्रंप ने सभी देशों पर 10 प्रतिशत टैरिफ और जिन देशों के साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे ज्यादा है, उन पर व्यक्तिगत रूप से उच्च टैरिफ लगाए थे ताकि व्यापार में समानता लाई जा सके और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
राष्ट्रपति ट्रंप ने “फेयर एंड रिसिप्रोकल प्लान” (न्यायसंगत और पारस्परिक योजना) की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य अमेरिका के व्यापार संबंधों में निष्पक्षता बहाल करना और एकतरफा व्यापार समझौतों का विरोध करना है।
इन टैरिफ की वजह से वैश्विक वित्तीय बाजारों में गिरावट देखी गई है। एशिया और यूरोप के बाजारों में भारी गिरावट आई है, और अमेरिका भी इससे अछूता नहीं रहा है। निवेशकों को डर है कि वैश्विक व्यापार से जुड़े इन कदमों के कारण महंगाई बढ़ सकती है, जिससे आर्थिक विकास को खतरा हो सकता है।
दूसरी बार राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से ट्रंप लगातार इस बात पर जोर देते आ रहे हैं कि अमेरिका व्यापार में पारस्परिकता सुनिश्चित करेगा और अन्य देशों द्वारा लगाए गए टैरिफ का उसी अनुपात में जवाब देगा — इसमें भारत भी शामिल है।