वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर की मजबूती और उसकी वैश्विक स्थिति को लेकर विश्वास जताया। उन्होंने कहा कि अमेरिकी डॉलर “हमेशा” दुनिया की “पहली पसंद की मुद्रा” बना रहेगा, भले ही हाल ही में डॉलर की कीमत यूरो के मुकाबले तीन साल के निचले स्तर पर पहुंच गई हो।
फ्लोरिडा स्थित अपने निजी एस्टेट ‘मार-ए-लागो’ की ओर जाते समय एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ट्रंप ने कहा, “हम दुनिया की पसंदीदा मुद्रा हैं। हम हमेशा रहेंगे। मुझे लगता है कि डॉलर जबरदस्त है।”
उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है जब अमेरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय बाजार में दबाव में है। ट्रेड और टैरिफ (शुल्क) नीतियों को लेकर राष्ट्रपति ट्रंप के बदलते रुख से निवेशकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जिससे डॉलर पर असर पड़ा है।
अमेरिकी डॉलर को आमतौर पर आर्थिक अनिश्चितता के समय एक सुरक्षित विकल्प माना जाता है, लेकिन हाल के सप्ताहों में निवेशकों ने अन्य मुद्राओं जैसे यूरो और जापानी येन की ओर रुख किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की व्यापारिक नीतियों को लेकर अस्पष्टता ने बाजार में अस्थिरता पैदा की है।
ट्रंप हालांकि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की बुनियादी मजबूती को लेकर आश्वस्त दिखे। उन्होंने कहा, “ऐसी कोई और मुद्रा नहीं है जैसी डॉलर है। लोग डॉलर रखना चाहते हैं और आगे भी रखना चाहेंगे।”
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यदि व्यापार नीतियों में स्पष्टता नहीं आती है, तो इसका असर डॉलर की स्थिति और निवेशकों के भरोसे पर पड़ सकता है। इससे महंगाई नियंत्रण और ब्याज दरों पर भी असर पड़ सकता है, खासकर ऐसे समय में जब फेडरल रिजर्व (अमेरिकी केंद्रीय बैंक) सूझ-बूझ से मौद्रिक नीतियों को संभालने की कोशिश कर रहा है।
हालांकि, ट्रंप का यह बयान यह संकेत देता है कि प्रशासन को अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मजबूती पर भरोसा है — चाहे डॉलर अस्थायी रूप से दबाव में क्यों न हो। निवेशक अब ट्रंप प्रशासन की अगली व्यापार नीति की दिशा पर नजर बनाए हुए हैं, ताकि वैश्विक बाजार में स्थिरता बनी रह सके।