डेस्क:छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की कमर तोड़ने की मुहिम जारी है। हाल के दिनों में बड़ी संख्या में नक्सली या तो मारे गए हैं या तो उन्होंने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण किया है। इसी सिलसिले में आज प्रदेश के दंतेवाड़ा जिले मेंतीन इनामी नक्सलियों सहित कम से कम 26 नक्सलियों ने सुरक्षा बलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। दंतेवाड़ा के पुलिस अधीक्षक गौरव राय ने कहा कि इन कैडरों ने पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया और इसकी वजह खोखली,अमानवीय माओवादी विचारधारा,कठोर वन जीवन और प्रतिबंधित संगठन के भीतर आपसी लड़ाई से मोहभंग होना बताया।
उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली माओवादियों के जनमिलिशिया, क्रांतिकारी पार्टी कमेटी (आरपीसी) और जनताना सरकार विंग और उनके अग्रिम संगठन जैसे दंडकारण्य आदिवासी किसान मजदूर संगठन (DAKMS) और चेतना नाट्य मंडली (CNM) से संबंधित थे।
अधिकारी ने कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों में से राजेश कश्यप आमदाई क्षेत्र जनमिलिटिया कमांडर के रूप में सक्रिय था और उस पर 3 लाख रुपये का इनाम था,जबकि जनताना सरकार दस्ते के प्रमुख कोसा मदवी और सीएनएम के सदस्य छोटू कुंजम पर क्रमशः 1 लाख और 50,000 रुपये का इनाम था। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ की 111वीं, 195वीं, 230वीं और 231वीं बटालियन और स्थानीय खुफिया इकाई ने आत्मसमर्पण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पुलिस ने कहा कि इसके साथ जून 2020 में शुरू किए गए ‘लोन वरातु’ (स्थानीय गोंडी बोली में गढ़ा गया शब्द जिसका अर्थ है अपने घर/गांव लौटना) अभियान के तहत जिले में अब तक 953 नक्सलवादी हिंसा छोड़ चुके हैं। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में दंतेवाड़ा सहित सात जिलों वाले बस्तर क्षेत्र में 792 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया था।