नई दिल्ली। सर्दियों के करीब आने के साथ ही राजधानी दिल्ली एकबार फिर गैस चेंबर में तब्दील होना शुरू हो गई है। अभी तो दीपावली का त्योहार भी नहीं आया है और वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि गुरुवार को शहर के कई इलाकों का AQI (वायु गुणवत्ता सूचकांक) 350 से 400 के बीच पहुंच गया। जिसके चलते अभी से लोगों को आंखों में जलन व सांस से संबंधित कई परेशानियां होने लगी हैं। खासकर बच्चों व बुजुर्गों को इस तरह की समस्याएं ज्यादा परेशान करती हैं।
दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब होने की सबसे बड़ी वजह वाहनों से निकलने वाले धुएं को माना जाता है, शहर के वायु प्रदूषण में जिसका योगदान लगभग 19.2 प्रतिशत है। हवा की गुणवत्ता खराब होने का एक और बड़ा कारण पड़ोसी राज्यों में पराली जलाना है। उपग्रह से प्राप्त आंकड़े के मुताबिक एक दिन पहले तक पराली जलाने के पंजाब में 99, हरियाणा में 14, उत्तर प्रदेश में 59 और दिल्ली में एक मामला सामने आया था। इसके अलावा कंस्ट्रक्शन साइट्स यानी निर्माण स्थलों पर उड़ने वाली धूल से भी वायु बड़े पैमाने पर प्रदूषित होती है। सर्दियां बढ़ने के साथ-साथ शहर में प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ता जाता है।
एक तरफ सरकार प्रदूषण रोकने के लिए तमाम नियम बनाने और सख्ती से उनका पालन कराने का दावा कर रही है, वहीं दिल्ली की हवा की गिरती क्वालिटी की बात करें तो गुरुवार को शहर के आनंद विहार का AQI 380, मुंडका का AQI 370, द्वारका का AQI 350, शादीपुर इलाके का AQI 356, द्वारका का AQI 350, जहांगीरपुरी का AQI 348, रोहिणी का AQI 341, बुरारी क्रॉसिंग का AQI 339 और पंजाबी बाग का AQI 320 रिकॉर्ड किया गया। इसके अलावा ज्यादातर इलाकों का AQI 200 से पार देखा गया। उधर यमुना नदी में एकबार फिर प्रदूषित झाग भी दिखाई देने लगे हैं।
वैसे दिल्लीवासियों को इस तरह की समस्या का सामना तो हर साल करना पड़ता है, लेकिन बीते सालों में ऐसी समस्या दीपावली के त्यौहार के बाद ही देखी जा रही थी, लेकिन इस साल तो दिवाली से पहले ही हालात बिगड़ना शुरू हो गए हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि शहर की हवा का यह हाल दीपावली से पहले है, तो ऐसे में दिवाली पर होने वाली आतिशबाजी के बाद शहर में वायु प्रदूषण का क्या हाल होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
उधर शहर की एयर क्वालिटी के बिगड़ने के साथ ही नई दिल्ली नगर निगम ने विभिन्न पहल शुरू करते हुए निर्माण स्थलों पर निरीक्षण कर सख्ती बरतना शुरू कर दिया है। इसी तरह के निरीक्षण के दौरान निगम ने बुधवार को धूल नियंत्रण उपायों के उल्लंघन के लिए विभिन्न जगहों पर 50-50 हजार रुपए के 30 चालान काटते हुए कुल 15 लाख सरकारी खाते में जमा किए।
इसके अलावा नगर निगम के जन स्वास्थ्य विभाग ने सार्वजनिक स्वच्छता, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, कूड़ा-कचरा, सिंगल यूज प्लास्टिक, सार्वजनिक स्थानों पर कचरे या सूखे पत्तों को जलाने के नियमों का उल्लंघन करने वालों पर 48,747 रुपये के 290 चालान भी जारी किए। शहर में प्रदूषण का स्तर कम करने के लिए सरकार ने बड़े पैमाने पर ‘एंटी स्मॉग गन’ लगाने की तैयारी की है। ये गन सड़क की धूल को दबाने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करेंगी। इसके साथ ही निर्माण स्थलों पर टीन की ऊंची दीवार लगाना, ग्रीन नेट लगाना, वहां आने-जाने वाली गाड़ियों की धुलाई करना, धूल वाली जगहों पर नियमित रूप से पानी का छिड़काव करना जैसे नियम भी बनाए हैं।
बता दें कि निर्धारित मानकों के अनुसार शून्य और 50 के बीच AQI को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 और 300 के बीच ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बेहद खराब’ तथा 401 और 500 के बीच एक्यूआई को ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है।