वडनगर, मेहसाणा :भारत के समृद्ध राज्यों में सुमार गुजरात प्रदेश को आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए गुजरात में व्यापक यात्रा व प्रवास करने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता, अखण्ड परिव्राजक, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना संग सोमवार को मेहसाणा जिले के उस वडनगर में पधारे, जो वडनगर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के प्रथम संस्थापक से संबद्ध होने के साथ भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के जन्मस्थान के रूप में भी प्रख्यात हो रहा है। प्राचीन काल में अनार्तपुरा अथवा आनंदपुरा के नाम से प्रख्यात यह क्षेत्र वर्तमान में वडनगर के रूप में जाना जाता है। देश के प्रधानमंत्री के नगर में तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता के शुभागमन का प्रसंग वडनगरवासियों को मानों भावविभोर बनाए हुए था। आचार्यश्री वडनगर के श्री बी.एन. हाईस्कूल में ही मंगल प्रवास किया, जिसमें देश के वर्तमान प्रधानमंत्रीजी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की है। आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व प्रधानमंत्रीजी के अग्रज श्री सोमभाई मोदी ने आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद भी प्राप्त किया।
सोमवार को प्रातःकाल की मंगल बेला में विसनगर से युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी अपनी धवल सेना का कुशल नेतृत्व करते हुए गतिमान हुए। मार्ग में आने वाले श्रद्धालुओं को मंगल आशीष प्रदान करते हुए आचार्यश्री अगले गंतव्य की ओर गतिमान थे। आचार्यश्री जैसे-जैसे वडनगर के निकट होते जा रहे थे। श्रद्धालुओं का उत्साह भी बढ़ता जा रहा था। यह वडनगर भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का जन्मस्थान है। साथ ही वडनगर प्राचीनकाल में अनार्तपुरा के नाम से विख्यात नगरी की राजधानी भी रही है। ऐसे ऐतिहासिक नगरी में तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अधिशास्ता का आगमन श्रद्धालुओं को उत्साहित किए हुए था। लगभग 10 किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री वडनगर में स्थित श्री बी.एन. हाईस्कूल में पधारे। ज्ञातव्य है कि इसी विद्यालय में देश के वर्तमान प्रधानमंत्री ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण की है। वडनगरवासियों व स्कूल से संबंधित लोगों ने आचार्यश्री का भावपूर्ण स्वागत किया।
विद्यालय परिसर में आयोजित मुख्य मंगल प्रवचन कार्यक्रम समुपस्थित श्रद्धालु जनता को महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल देशना प्रदान करते हुए कहा कि एक प्रश्न हो सकता है कि ‘मैं कौन हूं?’ इस प्रश्न के उत्तर में एक अध्यात्म के मनीषी व प्रवक्ता के द्वारा यह उत्तर दिया जा सकता है कि ‘मैं आत्मा हूं।’ सभी जीव हैं, चैतन्य हैं। जो दिखाई दे रहा है, वह स्थूल शरीर मूलतः अजीव है। अभी और जीव और अजीव मिले हुए हैं, किन्तु शरीर मूलतः पुद्गल है। पुण्य-पाप के योग से शरीर और जीव का मिलन होता है। कर्म बंधन के कारण जीव और शरीर का योग होता है। कर्म बंधन कराने वाला आश्रव नाम का तत्त्व होता है। शुभाशुभात्मक आश्रव के कारण कर्मों का बंधन होता है। आदमी जो भी शुभ और अशुभ कार्य करता है, उसका पुण्य अथवा पाप के रूप में बंधन होता है।
आश्रव के द्वारा ही कर्मों का बंधन होता है, जिसे आदमी को अपने जीवन में भोगना होता है। आश्रव रूपी समस्या को दूर करने के लिए संवर की साधना करना चाहिए। संवर की साधना के द्वारा आश्रव को रोका जा सकता है। पुराने बंधे हुए कर्मों को निर्जरा के द्वारा तोड़ा जा सकता है। संवर के द्वारा आगे कर्म बंधेगें नहीं और निर्जरा पुराने कर्मों को तोड़ देने से मोक्ष की दिशा में गति हो सकती है। सम्यकत्व व चारित्र की सम्यक् आराधना करें तो मोक्ष की प्राप्ति संभव हो सकती है।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरानत वडनगरवासियों को साध्वीप्रमुखा विश्रुतविभाजी ने भी उद्बोधित किया। आचार्यश्री के स्वागत में श्री पंकज बाफना, श्री बी.एन. विद्यालय के प्रिंसिपल श्री जितेन्द्रभाई मोदी ने अपनी अभिव्यक्ति दी। वडनगर की महिलाओं ने स्वागत गीत का संगान किया। नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती मीतिका शाह के पति श्री निलेश शाह ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्यश्री से मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। नैतिक, ध्वनि, जैनम् और आंचल ने अपनी प्रस्तुति दी। श्रीमती ज्योतषनाबेन शाह ने गीत को प्रस्तुति दी। मेहसाणा कॉलेज की लेक्चरार श्रीमती नीलम शाह ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।