आर्यनगर, हिसार (हरियाणा): अपने मंगल दर्शन और अमृतमयी वाणी से पावन पाथेय प्रदान कर जन-जन के मानस को पावन बनाने वाले जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी सोमवार को हिसार जिले में आर्यनगर में पधारे। वर्षों बाद अपने नगर में अपने आराध्य को प्राप्त कर श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर था। उत्साही श्रद्धालु अपने गुरु के स्वागत में नगर के बाहरी भाग में एकत्रित थे। आचार्यश्री जैसे नगर की सीमा में पधारे तो श्रद्धालुओं का बुलंद जयघोष वातावरण में गूंज उठा। भव्य स्वागत जुलूस संग आचार्यश्री अपने एकदिवसीय प्रवास हेतु आर्यनगर में स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में पधारे।
सोमवार को प्रातः की मंगल बेला में आचार्यश्री महाश्रमणजी ने हिसार के अग्रसेन भवन से मंगल प्रस्थान किया। अपने आराध्य को विदा करने के लिए हिसारवासी प्रातः ही पहुंच गए थे। सभी को मंगल आशीर्वाद प्रदान करते हुए आचार्यश्री गंतव्य की ओर बढ़ चले। विहार के दौरान अनेक लोगों ने आचार्यश्री के दर्शन का लाभ प्राप्त किया। कितनों को आचार्यश्री से मंगलपाठ और पावन पथदर्शन करने का भी सौभाग्य प्राप्त हो गया। तेज धूप में लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आचार्यश्री आर्यनगर स्थित प्राथमिक पाठशाला में पधारे।
पाठशाला परिसर में आयोजित मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने अपनी अमृतवाणी का रसपान कराते हुए कहा कि शरीर को टिकाए रखने के लिए हवा, पानी और भोजन की आवश्यकता होती है। जीवन में प्रथम कोटि की आवश्यकता होती है, जिसमें पहले हवा, फिर पानी और अंत में भोजन। आदमी को कई दिनों तक भोजन न मिले तो भी वह जीवित रह सकता है। पानी के बिना भी वह कुछ दिनों तक जीवित रह सकता है, किन्तु हवा के बिना तो कोई भला कितनी देर जीवित रह सकता है। इसलिए मानव जीवन में हवा की अत्यंत आवश्यकता है।
शास्त्रों में धरती पर तीन प्रकार के रत्न बताए गए हैं-पानी, अनाज और सुभाषित। मूर्ख लोग पत्थरों को रत्न मान लेते हैं। आदमी पत्थर के रत्नों के बिना तो रह सकता है, किन्तु हवा, भोजन और पानी के भला वह कब तक जिन्दा रह सकता है। शास्त्रों के माध्यम से ऐसे सुभाषित (सुन्दर वाक्य) आदि प्राप्त हो सकते हैं, जिससे मानव जीवन की दशा और दिशा बदल सकती है। जीवन में दूसरी कोटि की आवश्यकता है-कपड़ा और मकान। तीसरे कोटि की आवश्यकता है-शिक्षा और चिकित्सा। ये तीन स्तर की आवश्यकताएं मानव जीवन के लिए आवश्यक होती हैं। इन आवश्यकताओं के लिए आदमी को प्रयत्न करना होता है। आदमी अपनी मेहनत और लगन से अपनी आवश्यकताओं की पूति करे तो अच्छी बात है, किन्तु नशीले पदार्थों के सेवन आदि में अनावश्यक जाने से बचने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने अहिंसा यात्रा के दौरान बिहार सरकार द्वारा शराबबन्दी किए जाने बिहार के मुख्यमंत्री व तत्कालीन राज्यपाल जो वर्तमान में भारत के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से मुलाकात की चर्चा करते आचार्यश्री ने उपस्थित श्रद्धालुओं को नशामुक्त जीवन जीने के लिए भी अभिप्रेरित किया।
आचार्यश्री ने आर्यनगर आगमन के संदर्भ में कहा कि कई वर्षों के बाद यहां आना हुआ है। यहां के लोगों में खूब आध्यात्मिक, धार्मिक प्रगति होती रहे। आचार्यश्री के आह्वान पर उपस्थित जनता ने नशामुक्ति का संकल्प स्वीकार किया।
कार्यक्रम में श्री देवराज जैन, स्थानीय सभा के मंत्री श्री प्रदीपकुमार जैन, श्री अमित कुमार जैन, श्रीमती मंजू जैन, श्री संजय जैन, राजकीय प्राथमिक पाठशाला के अध्यापक श्री अनूपकुमार सिंह तथा जैन विश्व भारती की कुलाधिपति श्रीमती सावित्री जिन्दल ने अपनी आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी भावपूर्ण प्रस्तुति दी। तेरापंथ कन्या मण्डल-आचार्यनगर ने गीत का संगान किया। बालिका तन्वी ने नृत्य को प्रस्तुति दी।