डेस्क:सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा करते हुए 30 से 40 पृष्ठों का आदेश पारित करने पर आपत्ति जताई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी। बेंच ने कहा, ‘दिल्ली उच्च न्यायालय में जो कुछ हो रहा है, वह घृणित है। अग्रिम जमानत याचिका का निपटारा करते समय हाई कोर्ट की ओर से 30-40 पृष्ठ लिखना, निचली अदालत को यह संकेत देने जैसा है कि आपके पास दोषी ठहराने के लिए यह एक कारण है। मूलतः यह एक दोषसिद्धि आदेश है।’ एससी धोखाधड़ी के एक मामले में चिकित्सक आधार खेड़ा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
आधार खेड़ा ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसने 6 फरवरी को अपने 34 पृष्ठ के आदेश में उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था। खेड़ा की ओर से पेश सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि याचिकाकर्ता के पिता ही याचिकाकर्ता और उसकी मां के माध्यम से फर्म का संचालन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय ने उनकी भूमिका को उनके पिता के बराबर बताया। याचिकाकर्ता को अग्रिम जमानत देने से इनकार करने में इस तथ्य की अनदेखी कर दी कि वह मामले की जांच में शामिल हुए थे।
एचसी ने दिल्ली पुलिस से मांगा जवाब
लूथरा ने दलील दी कि मामले में आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है। इसके बाद, पीठ ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और खेड़ा को मामले में गिरफ्तारी से राहत मुहैया कराई। दूसरी ओर, इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की घटती संख्या और अधिवक्ता अधिनियम में प्रस्तावित संशोधन के खिलाफ अधिवक्ता शुक्रवार को हड़ताल पर रहे। उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने गुरुवार को हुई बैठक में हड़ताल का निर्णय लिया था। एसोसिएशन के प्रस्ताव के मुताबिक, अधिवक्ता शुक्रवार की सुबह मुख्य द्वार पर एकत्रित हुए और अदालत कक्ष में प्रवेश नहीं किया। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि इलाहाबाद एचसी में न्यायाधीशों के पदों की संख्या 160 है, लेकिन वर्तमान में इलाहाबाद में आधे से कम न्यायाधीश कार्यरत हैं।